Punjab Stubble Burning Cases Reduction 2025 : पंजाब के खेतों में अब धुएं के गुबार की जगह बदलाव की बयार बह रही है। देश का पेट भरने वाले पंजाब के किसानों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सही दिशा और सरकारी सहयोग मिले, तो वे किसी भी चुनौती को मात दे सकते हैं। पंजाब में पराली प्रबंधन को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण पर सालों से चल रही बहस को भी नई दिशा देने वाले हैं।
पराली जलाने की घटनाओं में 95% की भारी गिरावट
पंजाब में पराली प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिला है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में जहां राज्य में पराली जलाने की 83,000 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2025 में यह संख्या सिमटकर मात्र 3,500 रह गई है। यानी मान सरकार के कार्यकाल में पराली जलाने के मामलों में करीब 95% की ऐतिहासिक कमी आई है।
इस भारी गिरावट का श्रेय पंजाब सरकार की ठोस नीतियों और किसानों की जागरूकता को जाता है। सरकार ने न केवल आधुनिक मशीनें और सब्सिडी उपलब्ध कराई, बल्कि ‘रंगला पंजाब’ के विजन के तहत किसानों को लगातार जागरूक भी किया।
वैज्ञानिकों ने भी माना- दिल्ली के प्रदूषण का पंजाब से लेना-देना नहीं
दिल्ली के प्रदूषण के लिए हर साल पंजाब के किसानों को कोसने वालों को अब वैज्ञानिकों ने भी आईना दिखा दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक ने लुधियाना में स्पष्ट किया है कि दिल्ली का प्रदूषण पंजाब के किसानों की वजह से नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसानों पर लगाए जाने वाले आरोप पूरी तरह निराधार हैं और अब किसान इस बदनामी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह पहली बार है जब किसी शीर्ष वैज्ञानिक संस्था ने इतनी मजबूती से किसानों का पक्ष रखा है।
सीएम मान का तंज- ‘क्या दिल्ली आकर धुआं कनॉट प्लेस में ठहर जाता है?’
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दिल्ली सरकार और प्रदूषण पर राजनीति करने वालों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब पंजाब से 150 लाख मीट्रिक टन धान दिल्ली जाता है, तो लोग बड़े गर्व से बताते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि उसी धान के साथ पराली भी जुड़ी है।
मान ने तंज कसते हुए कहा, “पंजाब से दिल्ली तक धुआं पहुंचने के लिए हवा की रफ्तार 30 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा होनी चाहिए, जो कभी नहीं चलती। और क्या धुआं दिल्ली आकर कनॉट प्लेस में ठहर जाता है? क्या उसे पता है कि मेरा ठिकाना आ गया? हरियाणा, राजस्थान और यूपी पास में हैं, लेकिन इल्जाम सिर्फ पंजाब पर लगता है।”
पानी के संकट पर छलका दर्द
प्रदूषण के अलावा सीएम मान ने पंजाब के गहराते जल संकट पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने एक चौंकाने वाला तथ्य रखते हुए कहा कि पंजाब में किसान धान की सिंचाई के लिए जितनी गहराई से और जितने हॉर्सपावर की मोटर लगाकर पानी निकाल रहे हैं, उतनी ही गहराई और ताकत से सऊदी अरब में तेल निकाला जाता है।
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “हमारा नाम ‘पंजाब’ यानी पांच आब (पानी) है, लेकिन आज हमारे पास पानी ही नहीं बचा है। कम से कम हमारे नाम की लाज तो रख लो और पानी हमारे पास रहने दो।” उन्होंने केंद्र से मांग की कि अगर धान नहीं चाहिए तो किसी और फसल पर उतनी ही एमएसपी या मुआवजा दिया जाए, क्योंकि पंजाब का किसान देश का पेट भरने के लिए अपनी जमीन और पानी दोनों खपा रहा है।
जानें पूरा मामला
हर साल सर्दियों की शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का ठीकरा पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली पर फोड़ा जाता रहा है। लेकिन इस बार पंजाब सरकार, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और कृषि विज्ञान केंद्रों के साझा प्रयासों से पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है। इसके बावजूद जब दिल्ली का एक्यूआई (AQI) 400 पार कर गया, तो सीएम मान ने तथ्यों के साथ अपना पक्ष रखा कि जब पंजाब में कटाई शुरू भी नहीं हुई थी, तब भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक था।
मुख्य बातें (Key Points)
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पंजाब में पराली जलाने के मामले 2020 के 83,000 से घटकर 2025 में मात्र 3,500 रह गए।
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ICAR के महानिदेशक ने पुष्टि की कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब के किसान जिम्मेदार नहीं हैं।
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सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब का भूजल स्तर सऊदी अरब के तेल कुओं जितना गहरा हो गया है।
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सरकार की मशीनरी, सब्सिडी और जागरूकता अभियान ने पराली प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभाई।






