Zomato Swiggy Gig Workers Strike: 31 दिसंबर, यानी आज नए साल के जश्न के बीच अगर आप जोमैटो (Zomato), स्विगी (Swiggy), ब्लिंकिट (Blinkit) या जेप्टो (Zepto) से खाना या सामान मंगाने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। देश भर के गिग वर्कर्स (Gig Workers) ने आज देशव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया है। ’10-मिनट डिलीवरी मॉडल’ और कम वेतन के विरोध में डिलीवरी पार्टनर्स अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। इस हड़ताल का सीधा असर आपकी न्यू ईयर पार्टी पर पड़ सकता है, क्योंकि साल के सबसे व्यस्त दिन डिलीवरी सेवाएं पूरी तरह ठप होने की आशंका है।
‘जानलेवा’ है 10 मिनट डिलीवरी मॉडल
इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) और तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) ने मिलकर सरकार को 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है। यूनियनों का सबसे बड़ा विरोध ‘क्विक कॉमर्स’ कंपनियों के उस 10 मिनट डिलीवरी मॉडल के खिलाफ है, जिसे वर्कर्स ‘जानलेवा’ और असुरक्षित बता रहे हैं। उनका कहना है कि चंद मिनटों में सामान पहुंचाने के दबाव में उनकी जान खतरे में रहती है, जबकि कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती हैं।
वर्कर्स की 10 प्रमुख मांगें
हड़ताल पर गए गिग वर्कर्स ने सरकार और कंपनियों के सामने कुछ ठोस मांगें रखी हैं:
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10 मिनट डिलीवरी बंद हो: इसे तुरंत प्रभाव से हटाया जाए क्योंकि यह सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।
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न्यूनतम आय: डिलीवरी पार्टनर्स के लिए 24,000 रुपये महीने की न्यूनतम आय तय हो।
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कानूनी दर्जा: उन्हें ‘पार्टनर्स’ के बजाय ‘वर्कर्स’ का कानूनी दर्जा मिले ताकि वे श्रम कानूनों के दायरे में आ सकें।
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आईडी ब्लॉकिंग पर रोक: बिना किसी ठोस कारण और सुनवाई के आईडी ब्लॉक करने की मनमानी बंद हो।
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पुराना पेआउट और कमीशन: पुराना पेआउट स्ट्रक्चर लागू हो और कमीशन कटौती पर अधिकतम 20% की सीमा लगे।
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सामाजिक सुरक्षा: एक्सीडेंटल इंश्योरेंस और हेल्थ कवर की पक्की गारंटी मिले।
संपादकीय विश्लेषण: मुनाफे की दौड़ में ‘इंसान’ की कीमत
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से यह हड़ताल भारत की ‘गिग इकोनॉमी’ (Gig Economy) का काला सच उजागर करती है। 10 मिनट में मैगी बनने का विज्ञापन तो ठीक है, लेकिन सड़क पर 10 मिनट में डिलीवरी का दबाव एक इंसान के लिए जानलेवा है। कंपनियां ‘कन्वेनियंस’ (सुविधा) बेच रही हैं, लेकिन इसकी कीमत एक गरीब राइडर अपनी जान जोखिम में डालकर चुका रहा है। यह हड़ताल एक चेतावनी है कि तकनीक और मुनाफे की दौड़ में हम मानवीय मूल्यों और श्रमिक अधिकारों को कुचल नहीं सकते। अगर सरकार ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह असंतोष एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
आम आदमी पर क्या होगा असर?
आज 31 दिसंबर को फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनियों का सबसे बड़ा कारोबारी दिन होता है। करोड़ों लोग घर बैठे पार्टी का खाना और राशन मंगाते हैं। हड़ताल के कारण आपको समय पर डिलीवरी नहीं मिलेगी, या हो सकता है कि ऑर्डर ही एक्सेप्ट न हो। ऐसे में बेहतर होगा कि आप अपने खाने और जरूरी सामान का इंतजाम पहले से ही कर लें या फिर डाइन-आउट का विकल्प चुनें।
जानें पूरा मामला
क्या है पृष्ठभूमि: क्रिसमस पर हुई सांकेतिक हड़ताल के बाद से ही गिग वर्कर्स में गुस्सा था। उनका कहना है कि महंगाई बढ़ रही है, लेकिन कंपनियों ने ‘रेट कार्ड’ (Rate Card) बदल कर उनकी कमाई कम कर दी है। एक राइडर ने बताया कि 12-14 घंटे काम करने के बाद भी वे दिहाड़ी मजदूर से कम कमा रहे हैं, जिसमें पेट्रोल और खाने का खर्चा भी उन्हें खुद उठाना पड़ता है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया से हस्तक्षेप की मांग की गई है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto के गिग वर्कर्स ने 31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।
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वर्कर्स 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को ‘जानलेवा’ बताकर इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं।
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उनकी मांग है कि उन्हें ‘वर्कर्स’ का कानूनी दर्जा और न्यूनतम 24,000 रुपये वेतन मिले।
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बिना कारण आईडी ब्लॉक करने और कम इंश्योरेंस कवर को लेकर भी भारी विरोध है।
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हड़ताल से न्यू ईयर पर ऑनलाइन फूड और ग्रोसरी डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न








