Prashant Kishor Donates Wealth बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखते हुए प्रशांत किशोर ने एक ऐसा ऐलान कर दिया है, जिसने न केवल उनके समर्थकों बल्कि विरोधियों को भी चौंका दिया है। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी जीवन भर की कमाई का 90 फीसदी हिस्सा ‘जन सुराज’ अभियान के नाम करने की घोषणा की है।
पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिन के मौन उपवास के दौरान उन्होंने यह ऐतिहासिक संकल्प लिया। उन्होंने साफ कहा कि अब उनका जीवन और संसाधन पूरी तरह से बिहार के बदलाव के लिए समर्पित हैं।
दिल्ली का घर छोड़कर सब कुछ दान
प्रशांत किशोर ने अपने संबोधन में बेहद भावुक और दृढ़ अंदाज में कहा, “मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं अगले 5 साल में जो भी कमाऊंगा, उसका कम से कम 90 प्रतिशत जन सुराज अभियान के लिए डोनेट करूंगा।”
सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने पिछले 20 सालों में अपनी मेहनत से अर्जित की गई सभी चल और अचल संपत्तियों को भी दान करने का फैसला किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने परिवार के लिए दिल्ली में स्थित केवल एक घर अपने पास रखेंगे, बाकी सब कुछ जन सुराज अभियान को सौंप देंगे।
बिहार में लोकतंत्र के साथ अन्याय?
प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में पिछले कुछ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम पर भी गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, “पिछले 6-7 दिन बहुत कठिन रहे हैं, इसलिए नहीं कि जन सुराज चुनाव हार गया, बल्कि इसलिए कि बिहार में लोकतंत्र के साथ एक बहुत बड़ा अन्याय हुआ है।”
उनका इशारा हाल ही में हुए उपचुनावों या राजनीतिक हलचलों की तरफ था, जिसे उन्होंने लोकतंत्र के लिए काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि जन सुराज की सोच से जुड़े लोगों के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी है।
गांधी आश्रम से नई शुरुआत
प्रशांत किशोर ने अपने इस बड़े फैसले के लिए पश्चिम चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम को चुना। उन्होंने कहा कि जन सुराज परिवार के सदस्यों के लिए यह आश्रम हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रहा है।
इस मौके पर उनके साथ पूरे बिहार से आए समर्थक भी मौजूद थे, जिन्होंने अपना समय और संसाधन लगाकर इस अभियान में हिस्सा लिया। प्रशांत किशोर ने मीडिया और अपने साथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह लड़ाई अब और मजबूती से लड़ी जाएगी।
आम आदमी पर क्या होगा असर?
प्रशांत किशोर का यह कदम बिहार की राजनीति में शुचिता और त्याग का एक नया मानक स्थापित कर सकता है। आम तौर पर राजनीति को धनबल का खेल माना जाता है, लेकिन अपनी गाढ़ी कमाई को सार्वजनिक उद्देश्य के लिए दान देकर उन्होंने एक लकीर खींचने की कोशिश की है। इससे आम युवाओं में राजनीति के प्रति एक नई उम्मीद जाग सकती है कि बदलाव के लिए सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि समर्पण की भी जरूरत होती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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प्रशांत किशोर ने अपनी 90% संपत्ति और अगले 5 साल की कमाई जन सुराज को दान करने का संकल्प लिया।
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वे अपने परिवार के लिए सिर्फ दिल्ली का एक घर अपने पास रखेंगे।
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पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से उन्होंने यह बड़ा ऐलान किया।
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उन्होंने बिहार में हालिया घटनाक्रम को लोकतंत्र के साथ अन्याय बताया।






