Malkangiri Naxal Surrender : ओडिशा के मलकानगिरी में सुरक्षाबलों को माओवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। यहां पुलिस के बढ़ते दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर 22 खूंखार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इन माओवादियों ने न सिर्फ हिंसा का रास्ता छोड़ा है, बल्कि अपने साथ लाए गए अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा भी पुलिस को सौंप दिया है।
मलकानगिरी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 22 माओवादियों ने पुलिस के सामने अपने हथियार डाल दिए। सरेंडर करने वालों में नक्सली संगठन के कई बड़े नाम शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इनमें एक डिविजनल कमेटी मेंबर, 6 एरिया कमेटी मेंबर और 15 पार्टी मेंबर शामिल हैं। यह पुलिस के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, क्योंकि ये नक्सली लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय थे और सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बने हुए थे।
AK-47 और INSAS जैसे घातक हथियार बरामद
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अपने साथ भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार लेकर आए थे। पुलिस ने उनके पास से AK-47 राइफल, इंसास (INSAS) राइफल, एसएलआर (SLR) राइफल और अन्य कई तरह के घातक सरंजाम बरामद किए हैं। इतने बड़े पैमाने पर हथियारों का सरेंडर होना यह दर्शाता है कि नक्सली संगठन की कमर अब टूटने लगी है और वे मुख्यधारा में लौटने को मजबूर हो रहे हैं।
गृह मंत्री और सीएम की नीति का असर
पुलिस अधिकारियों ने इस सफलता का श्रेय केंद्रीय गृह मंत्री के आह्वान और ओडिशा सरकार की नीतियों को दिया है। दरअसल, गृह मंत्री ने पूरे देश से माओवाद का सफाया करने के लिए एक समय सीमा तय की है और सुरक्षाबलों को ‘मिशन मोड’ में काम करने का निर्देश दिया है। वहीं, ओडिशा के मुख्यमंत्री ने हाल ही में माओवादियों के लिए एक आकर्षक ‘आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना’ (Surrender and Rehabilitation Policy) की घोषणा की थी।
घर और पैसों की मदद ने बदला मन
मुख्यमंत्री द्वारा घोषित नई नीति में सरेंडर करने वाले माओवादियों को बसाने के लिए घर और आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है। पुलिस का मानना है कि इसी योजना से उत्साहित होकर अब नक्सली जंगल छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि मलकानगिरी में शुरू हुआ यह आत्मसमर्पण का सिलसिला आने वाले दिनों में राज्य के अन्य जिलों में भी जोर पकड़ेगा।
पुलिस की अपील: हिंसा छोड़ें, साथ आएं
इस मौके पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने अभी भी जंगलों में छिपे अन्य माओवादियों को भी कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने अपील की है कि जहां भी माओवादी सक्रिय हैं, वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें और सरकार के साथ मुख्यधारा में शामिल हों। सरकार ने उनके पुनर्वास के लिए पूरी व्यवस्था कर रखी है और उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
विश्लेषण: माओवाद के खिलाफ दोहरी रणनीति
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि माओवाद के खिलाफ सरकार की ‘हार्ड और सॉफ्ट’ यानी दोहरी रणनीति अब रंग ला रही है। एक तरफ सुरक्षाबलों का ‘मिशन मोड’ ऑपरेशन नक्सलियों पर दबाव बना रहा है, तो दूसरी तरफ सरकार की पुनर्वास नीतियां उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का विकल्प दे रही हैं। AK-47 जैसे हथियारों के साथ बड़े कैडर का सरेंडर करना यह संकेत देता है कि नक्सली विचारधारा अब कमजोर पड़ रही है और लोग विकास की ओर देख रहे हैं। यह ओडिशा पुलिस के लिए एक मनोवैज्ञानिक जीत भी है।
जानें पूरा मामला
ओडिशा का मलकानगिरी जिला लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर यहां से लाल आतंक को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं। इसी कड़ी में पुलिस लगातार अभियान चला रही है और साथ ही नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित कर रही है। यह 22 नक्सलियों का सरेंडर इसी सतत प्रक्रिया का एक बड़ा परिणाम है।
मुख्य बातें (Key Points)
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ओडिशा के मलकानगिरी में 22 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया।
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सरेंडर करने वालों में 1 डिविजनल और 6 एरिया कमेटी मेंबर शामिल हैं।
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पुलिस ने AK-47, INSAS और SLR राइफल जैसे घातक हथियार बरामद किए।
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सीएम की पुनर्वास योजना और गृह मंत्री के ‘मिशन मोड’ का दिखा असर।
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पुलिस ने अन्य नक्सलियों से भी हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की।






