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Plane Crash Survivor रमेश की कहानी, ‘मैं क्यों बच गया?’, PTSD से लड़ रहे जंग

अहमदाबाद प्लेन क्रैश में अकेले बचे रमेश 'सर्वाइवर गिल्ट' और PTSD से जूझ रहे हैं, 241 लोगों की हुई थी मौत, भाई को भी खोया।

The News Air Team by The News Air Team
मंगलवार, 4 नवम्बर 2025
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Plane Crash Survivor
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Plane Crash Survivor : “मैं सबसे भाग्यशाली इंसान हूं,” यह कहते हुए विश्वास कुमार रमेश का दर्द छिप नहीं पाता। 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया प्लेन हादसे में रमेश अकेले जिंदा बचे थे, लेकिन इस हादसे ने उन्हें ‘पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर’ (PTSD) दे दिया है। वह कहते हैं, “मुझे अब भी लगता है कि मैं उसी पल में फंसा हुआ हूं।”

12 जून को हुए उस भीषण हादसे में 241 लोगों की जान चली गई थी। रमेश जलते हुए मलबे से किसी तरह बच निकले, लेकिन उनके छोटे भाई अजय, जो उनसे कुछ ही सीट दूर बैठे थे, नहीं बच पाए। यही सवाल उन्हें रातों को सोने नहीं देता। वह पूछते हैं, “सबसे ज्यादा यही सवाल सताता है कि जब मेरा भाई नहीं बचा, तो मैं क्यों बच गया?”

Air India Crash Ahmedabad

‘कमरे में अकेला बैठा रहता हूं’

48 साल के रमेश अब इंग्लैंड के लीसेस्टर में रहते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। वह कहते हैं, ‘मैं ज्यादातर समय अपने कमरे में अकेला बैठा रहता हूं। न अपनी पत्नी से बात करता हूं, न बेटे से। दिमाग से वो रात निकलती ही नहीं है।’ रमेश के पैरों, कंधों और पीठ में अब भी दर्द है, लेकिन सबसे बड़ा दर्द उनके दिल में है। डॉक्टरों ने उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) बताया है।

क्या होता है PTSD?

PTSD यानी ‘आघात के बाद का मानसिक तनाव।’ जब कोई इंसान किसी बेहद डरावने या दर्दनाक हादसे से गुजरता है, तो वह घटना उसके दिमाग पर हावी हो जाती है। दिमाग बार-बार उस पल को याद करता है, जैसे वह आज भी हो रहा हो।

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‘सर्वाइवर गिल्ट’ का शिकार

रमेश ‘सर्वाइवर गिल्ट’ (Survivor Guilt) से भी जूझ रहे हैं, जहां इंसान खुद से सवाल करता है कि ‘मैं कैसे बच गया जबकि बाकी नहीं बचे?’ मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, यह एक तरह का गहरा शोक है, जो PTSD या डिप्रेशन का लक्षण हो सकता है। ऐसे लोग अक्सर बुरे सपने देखते हैं, उन चीजों से बचते हैं जो हादसे की याद दिलाएं और खुद को अकेला कर लेते हैं।

‘बच जाना भी राहत की बात नहीं होती’

एक्सपर्ट्स का कहना है कि PTSD से उबरने में वक्त और मदद दोनों की जरूरत होती है। फिल्ममेकर काई डिकेंस कहते हैं, ‘जो लोग बच जाते हैं, वे भी अपने अंदर बहुत कुछ खो देते हैं। उन्हें ‘चमत्कार’ कहना अच्छा लगता है, लेकिन इससे उन पर ‘मजबूत बने रहने’ का दबाव और बढ़ जाता है।’

रमेश कहते हैं, ‘शरीर का दर्द तो शायद ठीक हो जाएगा, लेकिन दिल का दर्द अब भी ताजा है।’ हादसे में उनका बिजनेस बर्बाद हो चुका है और वह मानसिक व आर्थिक तौर पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें मुआवजे से ज्यादा लंबे समय तक मानसिक देखभाल की जरूरत है।


मुख्य बातें (Key Points):
  • अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 241 लोगों की मौत हुई थी, रमेश अकेले बचे थे।
  • रमेश PTSD और ‘सर्वाइवर गिल्ट’ से जूझ रहे हैं; पूछते हैं- ‘मैं क्यों बच गया?’
  • PTSD एक मानसिक तनाव है जिसमें इंसान बार-बार उस हादसे को जीता है।
  • रमेश का बिजनेस बर्बाद हो चुका है और उन्हें लंबे समय तक मानसिक देखभाल की जरूरत है।

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