The News Air- भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के टॉप साइंटिस्ट समीरन पांडा का एक बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि अगर ओमिक्रॉन के बाद कोरोना का कोई नया वैरिएंट नहीं आता है, तो 11 मार्च तक ये महामारी एंडेमिक स्टेज में आ जाएगी। इसका मतलब वायरस के संक्रमण की रफतार काफ़ी धीमी हो जाएगी।
पहले जान लें, क्या होती है एंडेमिक स्टेज?
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक़, कोई बीमारी एंडेमिक स्टेज में तब मानी ज़ाती है जब उसकी मौजूदगी स्थाई और संक्रमण सामान्य हो जाता है। ऐसे में महामारी का असर कम लोगों या किसी ख़ास इलाक़े तक सीमित हो जाता है। इसके साथ ही वायरस भी कमज़ोर हो चुका होता है। इसके अलावा लोग भी उस बीमारी के साथ ज़ीना सीख जाते हैं।
कोरोना महामारी की एंडेमिक स्टेज आने की 5 बड़ी वजहें
- ओमिक्रॉन गंभीर नहीं, माइल्ड
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के डॉ निरंजन पाटिल कहते हैं कि ओमिक्रॉन कोरोना के पिछले वैरिएंट्स के मुक़ाबले माइल्ड है। ये फेफड़ों को ज़्यादा नुक्सान नहीं पहुंचा पाता, जिससे निमोनिया, ऑक्सिजन की कमी और ICU में भर्ती होने का ख़तरा बहुत कम हो जाता है। ओमिक्रॉन के 85-90% मामलों में मरीज़ को इसके कोई लक्षण नहीं आते। - कोरोना वैक्सीन का असर
टोरंटो यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट जेनिफर गोम्मरमैन कहती हैं कि मौजूदा वैक्सीन और उनके बूस्टर डोज़ हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत कर रहे हैं। इससे हम कोरोना से होने वाली गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से भी बच जाते हैं। दुनिया भर की कई कंपनियां ओमिक्रॉन को निशाना बनाने के लिए नई तरह की वैक्सीन भी तैयार कर रही हैं। - ओमिक्रॉन संक्रमण दूसरे वैरिएंट्स के ख़िलाफ़ बढ़ाता है इम्यूनिटी
दक्षिण अफ़्रीका में हुई एक हालिया रिसर्च में पाया गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमण होने पर डेल्टा वैरिएंट के ख़िलाफ़ शरीर में एंटीबॉडी बनती है। हालांकि, यह तभी मुमकिन है जब मरीज़ फुली वैक्सीनेटेड हो। - ओमिक्रॉन बनेगा डॉमिनेंट कोरोना वैरिएंट
अमेरिका के टॉप साइंटिस्ट एंथनी फौसी के अनुसार, कोरोना के नए वैरिएंट से दुनिया में लगभग सारे लोग संक्रमित होंगे। अगर ऐसा होता है तो ओमिक्रॉन विश्व में एक डॉमिनेंट कोरोना वैरिएंट बन जाएगा और लोगों में इसके ख़िलाफ़ नेचुरल इम्यूनिटी बन जाएगी। - कोरोना का घातक रूप मरीज़ के साथ ही ख़त्म हो जाता है
विशेषज्ञों का मानना है कि जो वायरस लोगों की जान लेता है, वह उन्हीं के साथ मर जाता है। नेचर में वायरस का वही रूप जीवित रह पाता है, जिसके साथ दुनिया की बड़ी आबादी जिन्दा रह सके। जिस तरह 1918 में आई फ्लू महामारी आज केवल सर्दी-खांसी वाला वायरस बनकर रह गई है, ऐसा कोरोना के साथ भी हो सकता है।
देश के लिए ओमिक्रॉन 11 दिसंबर से बना था संकट
डॉ. समीरन पांडा ने एक एनालिसिस के ज़रिए बताया है कि देश में 11 दिसंबर से ओमिक्रॉन वैरिएंट ने परेशानी बढ़ाई थी। यह संकट 3 महीने तक बना रहेगा। उनका कहना है कि 11 मार्च तक ही हमें कोरोना से कुछ राहत मिलेगी। डॉ. पांडा कहते हैं कि यदि ओमिक्रॉन डेल्टा की जगह ले लेता है और उसके बाद कोई नया वैरिएंट सामने नहीं आता है, तो इसे कोरोना महामारी का एंडेमिक स्टेज में आना माना जाएगा।
मुंबई-दिल्ली में पीक आई या नहीं, ये कहना अभी मुश्किल
डॉ. पांडा कहते हैं कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में कोरोना की पीक आई है या नहीं, अभी इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती। उनके अनुसार इस सवाल का जवाब 2 हफ़्ते बाद ही मिल पाएगा, क्योंकि देश के अलग-अलग राज्य तीसरी लहर के अलग-अलग चरणों में हैं। फ़िलहाल इन शहरों में ओमिक्रॉन और डेल्टा का अनुपात 80:20 है।