IMF Loan Conditions : लंबे समय से कर्ज में डूबा पाकिस्तान (Pakistan) अब खुद अपना बजट (Budget) भी स्वतंत्र रूप से तय नहीं कर पा रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF) से मिली एक अरब डॉलर की नई लोन किस्त के बदले पाकिस्तान को करीब 50 सख्त शर्तों का पालन करना होगा। इन शर्तों के कारण अब पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता (Economic Sovereignty) गंभीर खतरे में है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 2 जून को प्रस्तावित पाकिस्तान का वार्षिक बजट पेश होने से पहले उसे IMF की मंजूरी लेनी होगी।
IMF की एक टीम सोमवार को इस्लामाबाद (Islamabad) पहुंच गई है और अब पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अधिकारी इसी टीम से सलाह-मशविरा करके ही बजट प्रस्ताव तैयार करेंगे। सूत्रों के अनुसार, बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, ब्याज चुकाने और सुधार योजनाओं पर कितना खर्च होगा, इसका निर्धारण अब पाकिस्तान नहीं, बल्कि IMF करेगा।
IMF की शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान का कुल बजट 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये तय किया गया है। इसमें से सिर्फ 1.07 ट्रिलियन रुपये ही विकास योजनाओं पर खर्च करने की अनुमति दी गई है। साथ ही टैक्स स्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में अब कृषि आय (Agricultural Income) पर भी टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान सरकार को अब ‘गर्वनेंस एक्शन प्लान’ (Governance Action Plan) भी सार्वजनिक करना होगा, ताकि आम जनता यह देख सके कि सरकार IMF से मिली शर्तों पर कितनी ईमानदारी से अमल कर रही है। बिजली दरों में दी जाने वाली सब्सिडी पर भी रोक लगाने की बात कही गई है, जिससे सरकार किसी हद से अधिक रियायत नहीं दे सकती।
बीते कुछ वर्षों से IMF का पाकिस्तान के बजट पर दखल लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बार हालात कहीं अधिक गंभीर नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब पाकिस्तान की बजट प्रक्रिया सिर्फ एक आर्थिक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय अनुबंध की तरह हो गई है, जहां हर बिंदु पर IMF की मुहर जरूरी है।
इस घटनाक्रम से साफ है कि पाकिस्तान की आत्मनिर्भरता पर लोन आधारित व्यवस्था ने भारी असर डाला है और आने वाले समय में IMF की शर्तें उसके हर नीतिगत निर्णय को प्रभावित करती रहेंगी।