हैदराबाद, 22 जनवरी (The News Air) एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM President Asaduddin Owaisi) ने डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ (Ram Ke Naam) की स्क्रीनिंग के लिए तीन लोगों को गिरफ्तार करने के लिए तेलंगाना पुलिस की आलोचना की है।
हैदराबाद के सांसद ने रचाकोंडा पुलिस (Police)आयुक्त से यह बताने को कहा कि वृत्तचित्र राम के नाम की स्क्रीनिंग क्यों बीच में ही रोक दी गई और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।
ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने पूछा, “एक पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग कैसे अपराध है? अगर ऐसा है तो फिल्म को पुरस्कार देने के लिए भारत सरकार और फिल्मफेयर को भी जेल भेजा जाना चाहिए। कृपया हमें बताएं कि क्या हमें फिल्म देखने से पहले पुलिस से प्री-स्क्रीनिंग प्रमाणपत्र की आवश्यकता है।”
‘एक्स’ (X) पर उनकी टिप्पणी पुलिस द्वारा सैनिकपुरी के एक रेस्तरां में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोकने और आयोजकों के खिलाफ मामला (FIR) दर्ज करने के बाद आई है।
आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के आसपास की घटनाओं के बारे में है।
यह मामला रूथविक नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि डॉक्यूमेंट्री (Documentary) देखने वाले कुछ लोगों की स्क्रीनिंग और चर्चा ने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
शिकायतकर्ता को वृत्तचित्र देखने के लिए आमंत्रित लोगों में से एक बताया गया था, जिसे ‘हैदराबाद सिनेफाइल्स’ समूह द्वारा प्रदर्शित किया गया था।
पुलिस (Police) वहां पहुंची और स्क्रीनिंग रुकवा दी। कार्यकर्ताओं के खिलाफ नेरेडमेट थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 290 (सार्वजनिक उपद्रव) और 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। Police ने कहा कि स्क्रीनिंग बिना अनुमति के आयोजित की गई थी और जांच की गई।