नई दिल्ली, 6 अप्रैल (The News Air) : आज से 40 साल पहले पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था। स्थिति यह थी कि पंजाब सरकार ने राज्य के अशांत क्षेत्रों में आतंकवादी हिंसा को रोकने के लिए तीन जिलों अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला में अर्धसैनिक बलों के फ्लाइंग स्कवॉड लगाने का निर्णय लिया। आधिकारिक सूत्रों का कहना था कि उस समय राज्य सरकार ने जरूरत पड़ने पर जिलों में आम जनता को आत्मरक्षा के लिए हथियार भी उपलब्ध कराने का फैसला लिया था।
ऐसे में केंद्र सरकार पर भी पंजाब में आतंकवाद को रोकने का दबाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे में 6 अप्रैल को तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में संशोधन करने का फैसला लिया। उस समय पंजाब में कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। ऐसे में केंद्र सरकार ने पंजाब में हिरासत में लिए गए लोगों के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को और सख्त बनाने का अध्यादेश जारी किया। उस समय लोकसभा में पंजाब की स्थिति पर चर्चा हो रही थी। दूसरी तरफ तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए। अध्यादेश का मूल मकसद हिरासत में लिए गए लोगों की हिरासत अवधि को बढ़ाना था। अध्यादेश के बाद यह कानून अधिक सख्त हो गया।
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भारतीय संसद की तरफ 23 सितंबर, 1980 को लाया गया था। यह निवारक निरोध कानून के उद्देश्य को हल करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) केंद्र सरकार या राज्य सरकार को किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि में शामिल होने से रोकने के लिए हिरासत में लेने की अनुमति देता है। सरकार किसी व्यक्ति को सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालने से रोकने के लिए उसे हिरासत में भी ले सकती है। हिरासत में रखने की अवधि बारह महीने है। यदि सरकार व्यक्ति के खिलाफ नए सबूत जारी करती है तो विस्तार होगा।