नयी दिल्ली (The News Air), कांग्रेस (Congress) मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) के मुद्दे पर लोकसभा में मोदी सरकार (Narendra Modi Goverment) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिकम टैगोर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह अविश्वास प्रस्ताव सदन में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई पेश करेंगे। टैगोर ने कहा, “यह विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का विचार है। हमारा मानना है कि सरकार के अहंकार को तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने को विवश करने के लिए आखिरी हथियार का इस्तेमाल किया जाए।”
Congress MP Gaurav Gogoi files the No Confidence Motion against the Government in Lok Sabha. pic.twitter.com/osx0ljhrPZ
— ANI (@ANI) July 26, 2023
उन्होंने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय को इस संदर्भ में नोटिस दिया गया है। गोगोई असम से आते हैं और वह लोकसभा में कालियाबोर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फैसला हुआ था।
BRS MP Nama Nageswara Rao has also filed the No Confidence Motion against the Government. pic.twitter.com/TAdLp1fD2Q
— ANI (@ANI) July 26, 2023
कांग्रेस ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा है कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे संसद भवन स्थित पार्टी संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें। इससे पहले 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मॉनसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।