Child Trafficking in Delhi : दिल्ली (Delhi) में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जिसमें नवजात बेटों (newborn baby boys) को प्रॉपर्टी की तरह खरीदा और बेचा जा रहा था। राजस्थान (Rajasthan) और गुजरात (Gujarat) के आदिवासी इलाकों से नवजात शिशुओं को लाकर राजधानी के अमीर परिवारों को 5 से 10 लाख रुपये में बेचा जाता था। इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने ‘चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ (Child Trafficking) के इस नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए एक बड़ी कार्रवाई की है।
यह मामला उस समय उजागर हुआ जब पुलिस ने मार्च में एक सूचना के आधार पर उत्तर नगर (Uttam Nagar) से जांच शुरू की। 20 दिनों की निगरानी और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच के बाद पुलिस ने तीन बच्चों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। एक बच्चा राजस्थान के एक आदिवासी गांव से महज चार दिन की उम्र में दिल्ली लाया गया था और कुछ ही घंटों में एक कार में बैठा बाजार में बेचने के लिए तैयार था। उसे पुलिस ने एक कार से बरामद किया।
इस रैकेट की मुख्य सरगना पूजा सिंह (Pooja Singh) है, जो पहले एग डोनर रह चुकी है और अब बच्चा तस्करी का संचालन कर रही थी। पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में 11 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें छह महिलाएं शामिल हैं। पूजा के अलावा विमला (Vimla) और अंजली (Anjali) नामक महिलाएं भी इस गोरखधंधे में सक्रिय थीं। अंजली पर पहले से ही CBI द्वारा केस दर्ज है।
पुलिस की जांच से खुलासा हुआ कि गरीब परिवारों से बेटों को ₹1.5 लाख में खरीदा जाता था और दिल्ली के अमीर परिवारों को ₹5 से ₹10 लाख में बेचा जाता था। इस गिरोह के अन्य सदस्य जैसे कि यास्मीन, जितेंद्र और रंजीत बिचौलिए के रूप में कार्य करते थे। यास्मीन को एक ‘कैरियर’ के तौर पर ₹1.5 लाख दिए जाते थे जबकि बाकी लोग सौदा फाइनल करते थे।
8 अप्रैल को पुलिस ने अंजली, यास्मीन और जितेंद्र को गिरफ्तार किया। वे एक नवजात बच्चे को बेचने कार में जा रहे थे। बच्चा बीमार हो गया और उसे आईसीयू (ICU) में भर्ती कराना पड़ा। पुलिस की कड़ी मेहनत और डिजिटल फॉरेंसिक से इस गैंग के लगभग सभी सदस्य गिरफ्त में आ चुके हैं। कई गिरफ्तारियां दिल्ली (Delhi), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), राजस्थान (Rajasthan) और मादीपुर (Madipur) जैसी जगहों से हुईं।
एक कारोबारी, जिसने करीब ₹8 लाख में ‘बेटा’ खरीदा था, को पश्चिमी दिल्ली (West Delhi) के मादीपुर से गिरफ्तार किया गया। उसका कहना था कि उसकी तीन बेटियां थीं और उसे अपने जूते के कारोबार के लिए बेटा चाहिए था। एक और बच्चा गुलाबी बाग (Gulabi Bagh) से बरामद किया गया, जिसे एक ट्रांसपोर्टर को बेचा गया था।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 21 अप्रैल को इस पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया और इसे ‘बड़ा ऑपरेशन’ करार देते हुए दिल्ली पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। पुलिस अभी भी एक नवजात की तलाश कर रही है, जो इसी साल दिल्ली में बेचा गया था। चूंकि सौदे इंटरनेट कॉल्स (Internet Calls) से किए गए थे, इन कॉल्स को ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है। पुलिस को शक है कि चार से अधिक बच्चों को बेचा गया है। इनमें से कई बच्चों का न तो नाम है और न ही कोई कागजी पहचान।
यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे गरीबी का फायदा उठाकर निर्दोष बच्चों को एक वस्तु की तरह खरीदा और बेचा जा रहा है। दिल्ली पुलिस की जांच अब अंतिम चरण में है, लेकिन अभी भी कुछ गहरे राज़ उजागर होने बाकी हैं।






