The News Air- (चंडीगढ़) पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू आम आदमी पार्टी (AAP) में आने के अरविंद केजरीवाल के बयान से भड़क गए हैं। गुरुवार को कादियां पहुंचे सिद्धू ने केजरीवाल और AAP का जमकर मखौल उड़ाया। सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल को पंजाब में कोई दूल्हा (CM चेहरा) तो मिल नहीं रहा और बारात अकेले नाच रही है।
सिद्धू ने कहा कि अब वह केजरीवाल को नहीं छोड़ेंगे। सिद्धू की यह तल्ख़ी तब सामने आई, जब केजरीवाल ने कहा कि सिद्धू उनकी पार्टी में आना चाहते थे। इसके बाद से सिद्धू का पारा चढ़ा हुआ है। सिद्धू ने केजरीवाल की गारंटियों को झूठा भी कहा।
सिद्धू लड़ता रहा, केजरीवाल ने माफ़ी माँगी
सिद्धू ने कहा कि साढ़े 4 साल वह तस्करों से लड़ते रहे। रेत माफ़िया का मुक़ाबला किया। तब केजरीवाल तस्करों के आगे घुटने टक्कर माफ़ी मांगता रहा। अब साढ़े 4 साल बाद पंजाब में आ गया है।
पंजाब की महिलाओं को भिखारी समझा है क्या?
सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल पंजाब की महिलाओं को एक-एक हज़ार देने की बात कहता है। क्या पंजाब की महिलाओं को भिखारी समझा है?। केजरीवाल मुझे यह बताए कि उसकी कैबिनेट में कोई महिला मंत्री क्यों नहीं है। दिल्ली में कितनी महिलाओं को पैसे दिए। अगर दिए होंगे तो मैं राजनीति ही छोड़ दूंगा
दिल्ली की हवा केजरीवाल ने ख़राब की
सिद्धू ने कहा कि जो दिल्ली की हवा ठीक न कर सका, वह पंजाब का क्या करेगा। दिल्ली में जब शीला दीक्षित CM थी तो 6 हज़ार CNG बसें चलती थी। अब यह सिर्फ़ 3 हज़ार रह गए हैं। मैट्रो के साढ़े 3 से 4 फेज नहीं हुए। केजरीवाल ने ही दिल्ली में ऑटो चलाए, जिनकी वजह से वहाँ प्रदूषण फैला है।
बजट 72 हज़ार करोड़, ऐलान 1.10 लाख करोड़ के
सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल कहता है कि 26 लाख नौकरी देगा। उसके लिए 93 हज़ार करोड़ चाहिए। महिलाओं को एक-एक हज़ार रुपए देने के लिए 12 हज़ार करोड़ की ज़रूरत होगी। बिजली मुफ़्त देने के लिए 3600 करोड़ रुपए चाहिए। यह सब मिलकर 1.10 लाख करोड़ हो गया। पंजाब का बजट 72 हज़ार करोड़ है। उसमें 70 हज़ार करोड़ वेतन और क़र्ज़ा चुकाने में जाता है। इस सबके लिए केजरीवाल पैसा कहां से लाएगा।
सिद्धू ने दिखाए CM जैसे तेवर
सिद्धू ने कादियां रैली में अगले CM जैसे तेवर दिखाए। सिद्धू ने कहा कि वह रोज़गार और किसानों की आमदनी बढ़ाकर देंगे। दाल और तेल पर MSP देंगे। सिद्धू के शासन में उनके अपने बच्चे नहीं बल्कि आम लोगों के बच्चों को आगे रखा जाएगा। वह शासन नहीं परिवार चलाएंगे। छोटे किसानों के लिए कामकाज की ज़िम्मेदारी किसी IAS अफ़सर नहीं बल्कि किसान के ही हाथ में होगी।