The News Air- नवजोत सिद्धू ने लुधियाना में पूर्व MLA राकेश पांडे के घर समर्थकों की भीड़ जुटाई। इसमें कांग्रेस विधायक सुखपाल खैहरा के अलावा चुनाव हारे कई उम्मीदवार शामिल हुए। मीटिंग के बाद सुखपाल खैहरा ने कहा कि इस मीटिंग को किसी गुटबाज़ी से जोड़कर न देखा जाए। उन्होंने कहा कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफ़ा जरुर दे दिया है लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने अभी उसे मंज़ूर नहीं किया है। इस नाते वह अभी प्रधान हैं और इसलिए यह मीटिंग की गई है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्रीय नियम लागू करने समेत कई और मुद्दों पर इस दौरान चर्चा की गई।
एक हफ़्ते के भीतर सिद्धू की दूसरी मीटिंग
एक हफ़्ते के भीतर सिद्धू समर्थकों की यह दूसरी मीटिंग है। राजनीतिक माहिरों का मानना है कि सिद्धू प्रधानगी वापस पाने के लिए हाईकमान को अपनी ताक़त दिखा रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस की चुनाव में हार हुई। हालांकि सिद्धू और उनके समर्थक इसका ठीकरा चरणजीत चन्नी पर फोड़ रहे हैं। उनका तर्क है कि चुनाव चन्नी के 111 दिन के CM कार्यकाल पर लड़ा गया। चुनाव में चन्नी ही कांग्रेस का CM चेहरा रहे। इसलिए हार की ज़िम्मेदारी भी चन्नी की ही है।
20 कांग्रेसी नेता हुए थे शामिल
सिद्धू ने तीन दिन पहले सुल्तानपुर लोधी में मीटिंग की थी। जहां मौजूदा विधायक सुखपाल खैहरा और बलविंदर धालीवाल के अलावा क़रीब 20 कांग्रेसी नेता शामिल हुए। बाक़ी सभी चुनाव में हारे हुए उम्मीदवार थे। जिनमें नवतेज चीमा और गुरप्रीत जीपी तो खुलेआम चन्नी के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई नेता मान रहे हैं कि अगर सिद्धू सीएम चेहरा होते तो पंजाब और ख़ासकर मालवा में आप की सूनामी को रोक सकते थे। सिद्धू के बाद पंजाब में माफ़िया ख़त्म करने और ख़ुशहाली का मॉडल था।
सिद्धू के ख़िलाफ़ टकसाली कांग्रेसी
पंजाब के टकसाली कांग्रेसी नवजोत सिद्धू के ख़िलाफ़ हैं। सांसद मनीष तिवारी ने भी इस पर सवाल उठाया कि 5 साल पहले पार्टी में आने वाले को संगठन की कमान सौंपना उचित था?। वहीं प्रताप सिंह बाजवा और सुखजिंदर रंधावा भी इसको लेकर इशारों में सवाल उठा चुके हैं। अंदर खाते भी कांग्रेसी चाहते हैं कि सत्ता से बाहर होने के बाद अब किसी पुराने कांग्रेसी को कमान सौंपी जाए।
आसान नहीं सिद्धू की राह
कांग्रेस में अब सिद्धू की राह आसान नहीं है। सिद्धू प्रियंका गांधी के क़रीबी माने जाते हैं। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान धूरी में सिद्धू ने जनसभा को संबोधित करने से इन्कार कर दिया। उस वक़्त प्रियंका गांधी भी मंच पर ही मौजूद थी। इसके अलावा चरणजीत चन्नी को CM चेहरा बनाने के बाद सिद्धू ने प्रचार से किनारा कर लिया। इससे राहुल गांधी के चन्नी पर भरोसा जताने के फ़ैसले के प्रति सिद्धू के रवैया सवालों में घिर गया। वहीं सोनिया गांधी की पहले से ही सिद्धू से दूरी है।