नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (The News Air)
मोदी सरकार ने देश में मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बता दें कि भारत कपड़ा उद्योग में दुनिया का छठा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। इसे बढ़ाने और नए रोजगार के अवसर बनाने के लिए ही केंद्र ने मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। जानकारी के अनुसार टेक्सटाइल मेगा पार्क पर करीब 4000 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। इस खबर के बाद टेक्सटाइल कारोबार से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में बड़ा उछाल आया है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने टेक्सटाइल को लेकर बीते कुछ महीनों में 2 बड़े फैसले लिए है। पहला पीएलआई को लेकर हुआ है। कपड़ा मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, भारत में रजिस्टर्ड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां टेक्सटाइल सेक्टर में 10,683 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) का फायदा उठा सकती हैं।
बीते कुछ महीनों में सरकार ने टेक्सटाइल को लेकर तीसरा बड़ा फैसला लिया है। आमतौर पर टेक्सटाइल सेक्टर में महिलाओं को काफी संख्या में रोजगार मिला है। पीएलआई स्कीम की वजह से महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा और अर्थव्यवस्था के औपचारिक क्षेत्र से वे जुड़े सकेंगीं। स्कीम से गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा जैसे राज्यों को काफी मदद मिलेगी।
बता दें कि भारत कपड़ा उद्योग में दुनिया का छठा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। टेक्सटाइल पार्क के जरिये इस सेक्टर में एक्सपोर्ट को सुधारने की तैयारी है, इसीलिए सरकार एकीकृत टेक्सटाइल पार्क बना रही है। अगर आसान शब्दों में कहें तो इसके तहत एक ही जगह पर कई सारी फैक्ट्री यूनिट को स्थापित किया जाता है। कपड़ा उद्योग से जुड़ी सभी बुनियादी चीजों की सुविधाएं जैसे उत्पादन, मार्केट लिंकेज उपलब्ध होती हैं. सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों को देखते हुए विकसित करती है।
टेक्सटाइल पार्क का उद्देश्य कपड़ा क्षेत्र में बड़े निवेश लाना होता है। इन पार्कों में कपड़ा इंडस्ट्री के लिए एकीकृत सुविधाएं होती है। इसके साथ ही परिवहन में होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने की व्यवस्था रहती है। इनमें आधुनिक बुनियादी संरचनाएं, साझा सुविधाओं के अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब भी होते हैं।
धागे से कपड़ा तैयार करने, कपड़ों की रंगाई, सिलाई वगैरह से लेकर इनकी पैकिंग और ट्रांसपोर्टिंग तक के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में टेक्सटाइल पार्क रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा करता है।
इसमें मजदूरों की भी जरूरत होती है, डिजाइनरों की भी जरूरत होती है, अकाउंटिंग और मैनेजमेंट से जुड़े लोगों की भी जरूरत होती है और रिसर्चरों की भी जरूरत होती है। यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो अनपढ़ से लेकर उच्च शिक्षित लोगों तक को रोजगार मिलने की संभावना होती है।