Punjab Government Action के तहत राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार (Corruption) पर लगाम कसने के लिए एक के बाद एक कड़े फैसले लिए हैं। दिल्ली चुनाव (Delhi Elections) के नतीजों के बाद पंजाब सरकार पूरी तरह एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने 232 कानून अधिकारियों (Law Officers) से इस्तीफा मांगा है, जो हाईकोर्ट (High Court), सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और ट्रिब्यूनल (Tribunal) में राज्य का पक्ष रखते थे।
एक साल की तय प्रक्रिया के तहत मांगा गया इस्तीफा
पंजाब के एडवोकेट जनरल (Advocate General) गुरमिंदर सिंह ने कहा है कि यह एक नियत प्रक्रिया का हिस्सा है, क्योंकि इन अधिकारियों की नियुक्ति सिर्फ एक साल के लिए होती है। फरवरी में इनकी नियुक्ति समाप्त हो रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया है। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यों को व्यवस्थित करना और कानूनी प्रक्रियाओं में निरंतरता सुनिश्चित करना है।
पंजाब सरकार के 7 दिनों में 5 बड़े फैसले
14 फरवरी: भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए सरकार ने आदेश दिए कि डीसी (DC), एसडीएम (SDM), एसएसपी (SSP) और एसएचओ (SHO) को सख्त निर्देश दिए गए। यदि वे भ्रष्टाचार रोकने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
17 फरवरी: पंजाब विजिलेंस चीफ स्पेशल डीजीपी वरिंदर कुमार (Special DGP Varinder Kumar) को हटाकर एडीजीपी जी नागेश्व (ADGP G Nageshw) को नई जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी दिन मुक्तसर साहिब (Muktsar Sahib) के डीसी को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया गया और उनके खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू की गई।
19 फरवरी: पंजाब सरकार ने 52 पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर बर्खास्त कर दिया।
21 फरवरी: राज्य सरकार ने 21 आईपीएस (IPS) अधिकारियों का तबादला किया, जिसमें नौ जिलों के एसएसपी (SSP) शामिल थे।
21 फरवरी: पंजाब सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग को समाप्त कर दिया, ताकि प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
भ्रष्टाचार पर सरकार की सख्ती
पंजाब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम राज्य में सुशासन (Good Governance) को लागू करने के लिए उठाए गए हैं। सरकार का उद्देश्य है कि नागरिकों को बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता प्रदान की जा सके।
भविष्य की रणनीति
राज्य सरकार ने यह संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगाने और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए यह एक अहम कदम माना जा रहा है।