नई दिल्ली (New Delhi), 07 जनवरी (The News Air): कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने नौ साल के लंबे कार्यकाल को समाप्त करने का फैसला लिया है और अब वे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। यह निर्णय उनके अपने लिबरल पार्टी के भीतर बढ़ते आंतरिक दबाव के कारण लिया गया है, क्योंकि पार्टी में उनके प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण और उनकी घटती लोकप्रियता चुनावों से पहले एक बड़ी चुनौती बन गई थी। ट्रूडो ने यह भी कहा कि वे तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे जब तक पार्टी एक नया नेता नहीं चुन लेती, और इस दौरान संसद को 24 मार्च तक स्थगित कर दिया जाएगा।
ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने कई महत्वपूर्ण नीतियाँ बनाई, जैसे कनाडा चाइल्ड बेनिफिट, दंत चिकित्सा और औषधियों के लिए सरकार की सहायता योजनाएं, और उन्होंने अपनी कैबिनेट में 50% महिला प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। उनके नेतृत्व में कई सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में काम हुआ। फिर भी, उनका कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा, जिसमें एक भ्रष्टाचार मामले में उलझना और कोविड-19 महामारी के दौरान लागू किए गए सख्त वैक्सीनेशन नियमों और प्रतिबंधों पर जनता का विरोध शामिल है। इस सबका असर उनकी लोकप्रियता पर पड़ा, और 2024 के अंत तक उनका अनुमोदन स्तर केवल 22% रह गया।
इस निर्णय के बाद अब लिबरल पार्टी को अपने अगले नेता के चुनाव के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया शुरू करनी है। प्रधानमंत्री के पद से उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं, खासकर जब विपक्षी दल, जैसे कंजरवेटिव पार्टी, लगातार चुनावी सर्वेक्षणों में लिबरल पार्टी से आगे चल रही है। वर्तमान स्थिति में, अगर चुनाव आज होते, तो लिबरल पार्टी के लिए स्थिति कठिन हो सकती है।
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद, उनकी सरकार और पार्टी को नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक नए नेता की आवश्यकता होगी। पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन से पार्टी के लिए भविष्य में नई चुनौतियाँ और संभावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। एक नए नेता के साथ, लिबरल पार्टी को आगामी चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतिक बदलाव करने होंगे। इस बीच, विपक्षी दलों के नेता भी इस अवसर को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकें।
इस समय कनाडा की राजनीति में बदलाव की बयार है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ती है।