Vigilance Investigation : विजिलेंस (Vigilance) जांच के दायरे में आए जालंधर सेंट्रल (Jalandhar Central) से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक रमन अरोड़ा (Raman Arora) को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया। तय समय सुबह 11 बजे पेशी होनी थी, लेकिन देरी के चलते दोपहर करीब तीन बजे अरोड़ा को कोर्ट लाया गया। इस दौरान विधायक कोर्ट परिसर में हंसते हुए नजर आए, जिससे माहौल में हलचल देखी गई।
अब यह स्पष्ट होना बाकी है कि अरोड़ा से आगे की पूछताछ मोहाली (Mohali) में होगी या जालंधर (Jalandhar) में ही। शुक्रवार को विजिलेंस ने सुबह 8:45 बजे अरोड़ा के अशोक नगर (Ashok Nagar) स्थित आवास पर छापा मारा था। शनिवार को फिर एक टीम उनके घर पर जांच के लिए पहुंची। विजिलेंस की रडार में पंजाब पुलिस (Punjab Police) समेत अन्य विभागों से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी हैं, जिससे यह मामला और गंभीर बनता जा रहा है।
6 घंटे तक चली छापेमारी, रिश्तेदार और PA पर भी शिकंजा
विजिलेंस टीम ने शुक्रवार को लगभग छह घंटे तक रमन अरोड़ा के घर में तलाशी ली। इस दौरान उनके समधी राजू मदान (Raju Madan) और पीए रोहित (Rohit) के ठिकानों पर भी छापा मारा गया। राजू मदान घर पर नहीं मिले, लेकिन रोहित को हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए टीम अपने साथ ले गई। उन्हें भी शनिवार को कोर्ट में अरोड़ा के साथ पेश किया गया।
ATP केस से जुड़ा है मामला, नोटिस घोटाले का आरोप
जानकारी के अनुसार विधायक रमन अरोड़ा का मामला हाल ही में गिरफ्तार किए गए ATP से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि उन्होंने जालंधर नगर निगम (Jalandhar Municipal Corporation) के जरिए लोगों को फर्जी नोटिस भेजे और बाद में रुपए लेकर उन्हें समाप्त करवा दिया। इस मामले में एफआईआर (FIR) भी दर्ज की जा चुकी है।
पहले ही वापस ली जा चुकी है सुरक्षा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक अरोड़ा पर कार्रवाई की तैयारी पहले ही शुरू कर दी गई थी। कुछ दिन पहले ही उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। सीवरेज बोर्ड (Sewerage Board) के चेयरमैन सन्नी आहलूवालिया (Sunny Ahluwalia) ने पुष्टि करते हुए बताया कि अरोड़ा की गिरफ्तारी की सूचना उन्हें मिली है। हालांकि, उनके वकील ने रेड के दौरान गिरफ्तारी से इनकार किया था।
4 दिन पहले ही मिली थी विधानसभा कमेटी में जिम्मेदारी
हैरानी की बात यह है कि महज चार दिन पहले ही विधानसभा की नई कमेटियों का गठन किया गया था, जिसमें रमन अरोड़ा को पब्लिक अंडरटेकिंग कमेटी (Public Undertaking Committee) का सदस्य नियुक्त किया गया था। इससे यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या गिरफ्तारी की संभावनाओं के बावजूद उन्हें यह जिम्मेदारी देना उचित था।