CJI ने कहा कि क्या 6000 केसों की जांच करेगी ? SG ने बताया 11 केसों की. जब कानून व्यवस्था आम नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पा रही तो कैसी व्यवस्था है? आपकी रिपोर्ट और मशीनरी काफी आलसी और सुस्त है. स्थानीय पुलिस जांच कर रही है?
CJI- वायरल वीडियो मामले में महिला का कहना है कि पुलिस ने ही उसे भीड़ के हवाले किया. क्या पुलिस के खिलाफ कुछ हुआ. SG- सीबीआई आज ही वहां गई है. अभी इतनी जानकारी नहीं मिल पाई है.
CJI- बाकी 6523 एफआईआर का क्या होगा? उनकी जांच कौन करेगा? 6523 एफआईआर में कितने गिरफ्तार.
SG- सात
कोर्ट – 6523 एफआईआर में सिर्फ सात गिरफ्तार
SG – नहीं ये सिर्फ 11 एफआईआर से संबंधित हैं, बाकी इन एफआईआर में 252 गिरफ्तार हैं. 12 हजार से ज्यादा लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इनमें से कितने 6500 में गंभीर अपराधों शामिल हैं- शारीरिक क्षति, संपत्ति तोड़फोड़, धार्मिक स्थल, घर, हत्याएं, बलात्कार. उनकी जांच को फास्ट ट्रैक तरीकों से करना होगा. इस तरह आप लोगों में विश्वास पैदा कर सकते हैं.
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि सरकार अलग-अलग सारणी या सूची से बताए कि कितनी एफआईआर रेप और हत्या, हत्या, लूट, डकैती, आगजनी, जान माल के नुकसान से संबंधित हैं. हमें यह भी जानना होगा कि कितनी एफआईआर में विशिष्ट नाम लिए गए हैं और अगर एफआईआर में नाम हैं तो उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सीजेआई ने कहा कि हमें सीबीआई से जानना होगा कि सीबीआई के बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है. क्या वो ये जांच कर सकती है. तुषार मेहता ने कहा कि 11 FIR की जांच CBI को करने दें.
SC – स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक: आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 3-5 मई के बीच 150 मौतें हुईं, 27-29 मई के बीच 59 मौते हुईं.
SC- आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 150 मौतें हुईं, 502 घायल हुए, आगजनी के 5101 मामले और 6523 एफआईआर दर्ज की गईं. 252 लोगों को एफआईआर में गिरफ्तार किया गया और 1247 लोगों को निवारक उपायों के तहत गिरफ्तार किया गया. 11 एफआईआर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामले शामिल हैं. यह सत्यापन का विषय है. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 11 एफआईआर के सिलसिले में 7 गिरफ्तारियां की गई हैं.
SC- इस स्तर पर, इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री इस अर्थ में अपर्याप्त है कि 6523 एफआईआर का उन अपराधों की प्रकृति में कोई वर्गीकरण नहीं है, जिनसे वे संबंधित हैं. राज्य सरकार को वर्गीकरण का अभ्यास करना चाहिए .अदालत को सूचित करना चाहिए कि कितनी एफआईआर किस केस से संबंधित हैं.आरंभिक आंकड़ों के आधार पर, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में देरी हुई है. घटना और एफआईआर दर्ज होने के बीच काफी चूक हुई है. गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए गए हैं और गिरफ्तारियां बहुत कम हुई हैं.