क्या आपने कभी ऐसा नोटिस किया है कि आप किसी प्रोडक्ट पर अपने दोस्तों से बात करें और कुछ देर बाद वही प्रोडक्ट का ऐड इंस्टाग्राम या फेसबुक पर दिख जाए? इस अनुभव ने यूजर्स को लंबे समय से यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या सोशल मीडिया ऐप्स वाकई हमारी बातचीत सुन रहे हैं।
इंस्टाग्राम का जवाब – “हम नहीं सुनते”
हाल ही में इंस्टाग्राम प्रमुख एडम मोसेरी ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने साफ कहा कि “इंस्टाग्राम आपके फोन के माइक्रोफोन से आपकी बातचीत नहीं सुनता।”
मोसेरी के मुताबिक, अगर ऐप सच में बैकग्राउंड में आपकी बातें सुनता तो आपको तुरंत माइक्रोफोन का इंडिकेटर जलता हुआ दिखाई देता, फोन की बैटरी तेजी से खत्म होती और यह साफ तौर पर प्राइवेसी का उल्लंघन होता।
यह दावा केवल इंस्टाग्राम तक सीमित नहीं है। Android और iOS के लेटेस्ट वर्ज़न में यह फीचर अनिवार्य है कि जैसे ही कोई ऐप कैमरा, लोकेशन या माइक्रोफोन का इस्तेमाल करे, स्क्रीन पर इसका सिग्नल या नोटिफिकेशन जरूर दिखेगा।
तो फिर ऐड्स क्यों दिखते हैं?
यूजर्स का अगला बड़ा सवाल यही है कि अगर ऐप्स हमारी बातें नहीं सुनते, तो पर्सनलाइज्ड ऐड्स कैसे आते हैं?
मोसेरी ने इसका कारण बताते हुए कहा कि Meta जैसी कंपनियों का बिजनेस मॉडल विज्ञापनदाताओं के साथ साझेदारी पर टिका है। ये कंपनियां वेब पर आपकी गतिविधियों जैसे – आपने कौन सी वेबसाइट देखी, किन प्रोडक्ट्स को सर्च किया या किन चीजों में दिलचस्पी दिखाई – उसके आधार पर टारगेटेड ऐड्स दिखाती हैं।
यानी जब हम किसी प्रोडक्ट को ब्राउज करते हैं या उससे संबंधित पेज पर जाते हैं, तो एल्गोरिद्म हमें उससे जुड़े ऐड्स दिखाना शुरू कर देता है। इसे कई बार हम अपनी बातचीत से जोड़ लेते हैं, लेकिन असल में यह महज संयोग (coincidence) होता है।
क्यों उठते रहे सवाल?
इंस्टाग्राम, मेटा (पहले फेसबुक) का हिस्सा है और फेसबुक पर पहले भी यूजर्स के डेटा लीक और प्राइवेसी उल्लंघन के कई आरोप लगे हैं। कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल जैसे मामलों के बाद से ही यूजर्स का भरोसा डगमगाया है। यही वजह है कि हर बार जब यूजर्स को संदिग्ध ऐड्स दिखते हैं, तो उन्हें लगता है कि कंपनी गुप्त रूप से उनकी बातचीत रिकॉर्ड कर रही है।
रील्स पर कंपनी का फोकस
इंस्टाग्राम भारत सहित कई देशों में रील्स-फर्स्ट मोबाइल एक्सपीरियंस को और आगे बढ़ा रहा है। कंपनी अब रील्स को प्लेटफॉर्म का केंद्र बनाने की तैयारी कर रही है, क्योंकि यह फीचर न केवल यूजर्स के बीच बेहद लोकप्रिय है, बल्कि ब्रांड्स और विज्ञापनदाताओं के लिए भी सबसे ज्यादा मार्केटेबल है। आने वाले महीनों में यह अपडेट सभी यूजर्स तक पहुंचेगा।
मुख्य बातें (Key Points):
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इंस्टाग्राम प्रमुख एडम मोसेरी ने कहा कि ऐप आपकी बातें रिकॉर्ड नहीं करता।
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यूजर्स को दिखने वाले ऐड्स उनके वेब ब्राउजिंग और ऑनलाइन एक्टिविटी पर आधारित होते हैं।
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गूगल और एप्पल ने अनिवार्य कर दिया है कि जब भी कोई ऐप माइक्रोफोन/कैमरा यूज करे तो स्क्रीन पर इंडिकेटर दिखे।
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इंस्टाग्राम अब पूरी तरह रील्स-फर्स्ट मॉडल की ओर बढ़ रहा है।






