The News Air- अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी NSA) दलीप सिंह पिछले दिनों भारत दौरे पर थे। दलीप ने गुरुवार को भारत के ख़िलाफ़ बयान दिया। उन्होंने कहा- कोई भी इस बात पर भरोसा नहीं करेगा कि अगर चीन LAC का उल्लंघन करता है तो रूस भारत की मदद के लिए दौड़ता हुआ आएगा।
इस मामले पर भारत के एक्सपर्ट्स ने अमेरिका को नसीहत दी है। यूरोपीय यूनियन मामलों की एक्सपर्ट पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी का कहना है कि जो पश्चिमी देश ख़ुद रूसी तेल पर निर्भर हो, हमें उनकी भाषण बाज़ी नहीं सुननी है। दलीप सिंह को अपनी हद में रहना चाहिए था।
यूरोपीय देश तेल के लिए रूस पर निर्भर
दुनिया जानती है कि यूरोपीय देश गैस और तेल के मामले में 75% रूस पर निर्भर हैं। भारत तो अपनी ज़रूरत का सिर्फ़ 2% तेल रूस से ख़रीदता है। अगर किसी को परिणाम भुगतने हैं तो वे पश्चिमी देश हैं, हम नहीं। रूस, अमेरिका और चीन जैसी बड़ी ताक़तों के साथ भारत के रिश्तों को लेकर पिछले 48 घंटे में कई अहम घटनाक्रम हुए हैं।
यूक्रेन पर मिलिट्री ऑपरेशन के 37वें दिन भारत आए रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बेहद अहम मैराथन बैठक की। यही बात अमेरिका और पश्चिमी देशों को खल रही है। इसीलिए, अमेरिका के डिप्टी NSA दलीप सिंह ने भारत को एक तरह की धमकी दे डाली। ऐसा करके दलीप सिंह ने सीमाएं लांघी हैं। उनका बयान किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अमेरिका का यह बयान उसकी बौखलाहट दर्शाता है
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा- दलीप सिंह का बयान अमेरिका की बौखलाहट दर्शाता है। एक समय था कि जब भारत 75% डिफेंस इक्विपमेंट रूस से मंगाता था। अब भी 48% रक्षा सौदे रूस के साथ हो रहे हैं। अमेरिका जानता है कि रूस के साथ हमारे रिश्ते सिर्फ़ विक्रेता-खरीदार के नहीं हैं।
अमेरिका को यह पता होना चाहिए कि 1962 से आज तक हमने चीन से सीधा मुक़ाबला किया है। आगे भी करेंगे। अमेरिका ख़ुद को यूक्रेन का सबसे बड़ा हिमायती बता रहा था, लेकिन जब रूस ने हमला किया तो यूक्रेन को लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया।