मुंबई: भारतीय स्वाधीनता संघर्ष के लंबे इतिहास में कई लोगों ने ऐसी भूमिकाएं निभाई जिनसे पूरा देश वाकिफ है। इन सेनानियों ने तन-मन-धन से इस लड़ाई को आगे बढ़ाया और एक दिन भारत को अंग्रेजी दासता से मुक्ति दिलाने में सफल रहे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने देश से बाहर रहकर भी आजादी की मशाल को जलाए रखा और भारत की आजादी के लिए दुनिया का समर्थन जुटाने की कोशिश में जुटे रहे।
अग्रणी नेता सुभाष चंद्र बोस
इनमें सबसे पहला नाम आता है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का। सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया ‘जय हिंद’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। उन्होंने इस कदम से हिंदुस्तान की आजादी के लिए अन्य देशों से समर्थन हासिल किया।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने बजाय भारत की आजादी का बिगुल
राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ब्रिटिश राज के दौरान स्वतंत्र भारतीय सरकार की घोषणा करके अंग्रेजों के खिलाफ देश के बाहर भारत की आजादी का बिगुल फूंक दिया था। राजा महेंद्र प्रताप सिंह 32 साल तक देश से बाहर रहे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में रूस, जर्मनी और जापान जैसे देशों से मदद मांगी। वह साल 1946 में भारत लौटे। वतन लौटने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्धा में महात्मा गांधी से मुलाकात की। चूंकि राजा महेंद्र प्रताप सिंह घोषित तौर पर कांग्रेस में नहीं रहे… इसलिए उन्हें कांग्रेस सरकार में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने का मौका नहीं मिला।
लाला हरदयाल ने की गदर पार्टी की स्थापना
लाला हरदयाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रांतिकारियों में थे, जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लड़ाई में योगदान के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिए उन्होंने अमेरिका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष का ऐलान किया। यह लड़ाई ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के लिए भी प्रेरणास्रोत बनी।
आजादी के लिए दादाभाई नौरोजी का अमूल्य योगदान
ब्रिटेन के पहले भारतीय सांसद दादाभाई नौरोजी ने भी भारत की आजादी में अमूल्य योगदान दिया था। दादाभाई नौरोजी सात बार इंग्लैंड गए। उन्होंने लंदन में अपनी जिंदगी के तीन दशक से ज्यादा वक्त बिताया। उन्हें ‘द ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है! उन्होंने ब्रिटेन में संसद सदस्य रहते हुए भारत के विरोध को रखा और अंग्रेजों की लूट के मुद्दे को ब्रिटिश संसद में उठाया।
सरदार सोहन सिंह भकना ने हिलाया ब्रिटिश शासन
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सरदार सोहन सिंह भकना अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेकने के लिए गठित हुई गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे। गदर पार्टी ने साम्राज्यवाद के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष का ऐलान किया था। अपने कारनामों से सरदार सोहन सिंह भकना ने ब्रिटिश शासन को झकझोर दिया था।