The News Air- (चंडीगढ़) अकाली नेता बिक्रम मजीठिया के ख़िलाफ़ ड्रग्स केस दर्ज़ करने के बाद अकाली दल हमलावर हो गया है। बुधवार को यूथ अकाली दल के प्रधान परमबंस सिंह बँटी रोमाणा ने कहा कि पंजाब सरकार ने दाग़ी अफ़सर से यह FIR दर्ज़ करवाई।
वहीं, जिन ADGP हरप्रीत सिद्धू की रिपोर्ट पर केस दर्ज़ किया गया, वह मजीठिया परिवार के क़रीबी रिश्तेदार हैं। हालांकि 14 साल से उनका आपस में कोई संपर्क नहीं है। ऐसे में बिक्रम मजीठिया से सिद्धू की कैसी रिश्तेदारी होगी, सब समझ सकते हैं। अब अकाली दल शुक्रवार को पंजाब में सभी ज़िलों में SSP के दफ़्तर का घेराव करेंगे।
IG पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज़, इसीलिए ADGP की प्रमोशन नहीं हुई
चंडीगढ़ में रोमाणा ने कहा कि जिस IG गौतम चीमा ने केस दर्ज़ किया, उसके ख़िलाफ़ गंभीर धाराओं में केस दर्ज़ हैं। इनमें एक केस सीबीआई और दूसरा पंजाब पुलिस के पास चल रहा है। उक्त IG के साथ के अफ़सर ADGP बन चुके हैं। ऐसे में उनका क्या लेन-देन हुआ, जो ग़लत तरीक़े से यह FIR दर्ज़ की गई।
कितने केस में DGP सीधे FIR दर्ज़ करवाते हैं?
रोमाणा ने पूछा कि DGP ने सीधे FIR दर्ज़ करने के लिए कहा। पंजाब या देश भर में ऐसा कौन सा केस है, जिसे सीधे दर्ज़ करने को कहा जाता है। मामले की जांच होती है और फिर केस दर्ज़ होता है। फिर केस किसी थाने में दर्ज़ होता है। इसमें सरकार ने नया ही मापदंड अपनाकर केस दर्ज़ कर दिया। इसके लिए दो डीजीपी और ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन के 3 डायरेक्टर बदले गए। जब सभी एसएसपी ने जवाब दे दिया तो यह केस क्राइम ब्रांच के थाने में दर्ज़ किया गया। जिस बनूड़ थाने में ओरिजनल 56 नंबर FIR दर्ज़ हुई थी, वहाँ इसे क्यों नहीं दर्ज़ किया गया?।
सिद्धू की यह कैसी रिपोर्ट, न जांच और न ताज़े सबूत
रोमाणा ने कहा कि ADGP हरप्रीत सिद्धू ने ख़ुद अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मैंने कोई जांच नहीं की। मेरी रिपोर्ट एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के लिए बयान और ऑब्जर्वेशन पर आधारित है। ऐसे में इसके लिए कोई ताज़े सबूत नहीं लिए गए। फिर यह जांच कैसे हुई?, यह तो हरप्रीत सिद्धू का ओपिनियन है। जिसके आधार पर केस दर्ज़ कर दिया गया। अगर सबूत होते तो ED ख़ुद इस मामले में चालान पेश करती।
बिना हाईकोर्ट की परमिशन के केस दर्ज़ किया
इस केस के ट्रायल पूरे हुए 3 साल हो चुके हैं। जनवरी 2019 में आरोपियों को सज़ा मिल चुकी है। इसमें कुछ लोग बरी भी हुए। कोर्ट में पूरे ट्रायल या जजमेंट के दौरान मजीठिया का कहीं कोई नाम नहीं आया। एक बार केस कनक्लूड होने पर उसकी दोबारा जांच के लिए ऊपरी अदालत यानी हाईकोर्ट से परमिशन लेनी चाहिए थी लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया।
हाईकोर्ट के आदेश पर बनी कमेटी और SIT की रिपोर्ट कहां है?
अकाली नेता रोमाणा ने कहा कि ADGP हरप्रीत सिद्धू की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाने को कहा था। जिसके बाद सरकार ने डीजीपी और एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी (होम) की कमेटी बनाई थी। उनकी रिपोर्ट में क्या आया?, सरकार उसके बारे में क्यों नहीं बता रही? वह रिपोर्ट इस एफआईआर के साथ क्यों नहीं लगाई गई।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने ड्रग मामले की जांच के लिए 3 आईजी ईश्वर सिंह, नागेश्वर राव और वी नीरजा की एसआईटी बनाई थी। उन्होंने जांच कर इसके 10 सप्लीमेंट्री चालान पेश किए। उसमें मजीठिया का नाम नहीं था तो फिर केस कैसे दर्ज़ हुआ। वहीं, उन 3 आईजी की रिपोर्ट कहां है?, पंजाब सरकार उसे क्यों छुपा रही है?।