ब्रह्मांड कैसे बना? इस सवाल का जवाब ढूंढने में विज्ञान लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी यात्रा में एक अहम खोज हुई है, जिसे ‘गॉड पार्टिकल’ या ‘हिग्स बोसोन’ के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले गॉड पार्टिकल होने का दावा करने वाले वैज्ञानिक पीटर हीग्स थे जिनका अब निधन हो गया। वो 94 वर्ष के थे।
हाइलाइट्स
- गॉड पार्टिकल की खोज विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था
- यह भौतिकी के क्षेत्र में कई वर्षों के शोध और प्रयोगों का परिणाम था
- इस खोज ने ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को गहराई से बदल दिया है
गॉड पार्टिकल इतना खास क्यों है?
दुनिया की हर चीज, चाहे वो इंसान हो या पेंसिल, किसी न किसी मात्रा में द्रव्यमान रखती है। यानी हर चीज का एक वजन होता है। लेकिन आखिर चीजों को ये वजन मिलता कहां से है? यही वो सवाल है जिसका जवाब गॉड पार्टिकल देता है। दरअसल, गॉड पार्टिकल एक खास तरह का कण है जिसे ‘बोसोन’ कहते हैं। ब्रह्मांड में हर जगह एक तरह का ऊर्जा का क्षेत्र मौजूद है, जिसे ‘हिग्स फील्ड’ कहा जाता है। गॉड पार्टिकल इसी हिग्स फील्ड के साथ मिलकर काम करता है। जब कोई दूसरा कण इस फील्ड से होकर गुजरता है, तो गॉड पार्टिकल के साथ उसकी टक्कर होती है। यही टक्कर बाकी कणों को उनका जाना-पहचाना वजन देती है। अगर इन्हें गॉड पार्टिकल से वजन न मिले तो ये कण प्रकाश की रफ्तार से चलते रहें!
गॉड पार्टिकल की खोज का क्या फायदा हुआ?
गॉड पार्टिकल की खोज विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह ‘स्टैंडर्ड मॉडल ऑफ पार्टिकल फिजिक्स’ (SM) का एक अहम हिस्सा है। एसएम ब्रह्मांड के मूलभूत कणों और उनको चलाने वाले बलों को समझाने वाला सिद्धांत है। गॉड पार्टिकल की खोज ने एसएम को सही साबित करने में मदद की है। इससे हमें ये समझने में भी मदद मिली है कि आखिर ब्रह्मांड बना कैसे होगा और उसका विकास कैसा हुआ। इस खोज का मतलब ये भी है कि भविष्य में विज्ञान के नए दरवाजे खुल सकते हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि गॉड पार्टिकल के बारे में और ज्यादा जानने से भौतिकी के नए सिद्धांत सामने आ सकते हैं और ब्रह्मांड के और भी रहस्य खुल सकते हैं!
गॉड पार्टिकल को ये नाम क्यों दिया गया?
‘गॉड पार्टिकल’ नाम थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन कुछ लोग इसे ब्रह्मांड के निर्माण में अहम भूमिका निभाने की वजह से इसे इसी नाम से पुकारने लगे। ये नाम किसी धार्मिक अर्थ में नहीं दिया गया है, बल्कि ब्रह्मांड के नियमों को समझने में इसकी अहमियत को दर्शाता है। वैज्ञानिकों ने तो इसे ‘हिग्स बोसोन’ नाम ही देना पसंद किया।
गॉड पार्टिकल को देख सकते हैं?नहीं, गॉड पार्टिकल इतना छोटा कण है कि उसे नंगी आंखों से तो क्या, किसी भी माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। ये कण सिर्फ विशाल प्रयोगों की मदद से ही पता लगाए जा सकते हैं। लेकिन गॉड पार्टिकल के बारे में सीखना और इसे समझना हर किसी के लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे हमें इस ब्रह्मांड को बनाने वाले नियमों को जानने में मदद मिलती है। साथ ही यह जिज्ञासा जगाता है कि आखिर ब्रह्मांड कैसे बना और इसमें हमारी जगह क्या है!
आगे की राह
गॉड पार्टिकल के बारे में वैज्ञानिकों को अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। वे इसके द्रव्यमान, स्पिन जैसी खूबियों का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही ये भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये दूसरे कणों और ब्रह्मांड के नियमों के साथ कैसे जुड़ा हुआ है। दरअसल, गॉड पार्टिकल की खोज एक बड़ी उपलब्धि जरूर थी, लेकिन ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की ये बस एक शुरुआत है। वैज्ञानिक अभी भी कई सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं। उदाहरण के लिए, क्या गॉड पार्टिकल जैसा कोई और कण भी मौजूद है?
1. गॉड पार्टिकल की कुछ खासियतें हैं जिनको हम अभी पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं। उम्मीद है कि इनका अध्ययन करने से भविष्य में और भी खोजें हो सकती हैं।
2. डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का रहस्य अभी भी बना हुआ है। ये ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा तो हैं, लेकिन हम इनके बारे में बहुत कम जानते हैं। क्या गॉड पार्टिकल से इनके बारे में कोई सुराग मिल सकता है?
ऐसे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए वैज्ञानिक अब और भी शक्तिशाली मशीनें बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि इन मशीनों की मदद से आने वाले समय में गॉड पार्टिकल के बारे में और भी ज्यादा जानकारी हासिल हो सकेगी और ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को हम सुलझा पाएंगे।