चंडीगढ़, 08 जनवरी (The News Air):- भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य ताकत पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर तेजी से बदलता सुरक्षा परिदृश्य देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
चीन के छठी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर्स: एक बड़ा अलार्म
चीन ने हाल ही में दो नए छठी पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों का अनावरण किया है, जिसने वैश्विक स्तर पर सैन्य क्षेत्र में चीन की प्रगति को लेकर चिंता बढ़ा दी है। चीन की यह प्रगति उसकी वायु सेना को और मजबूत बना रही है।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “चीन अपनी वायु सेना में भारी निवेश कर रहा है। यह केवल संख्या का मामला नहीं है; उनकी तकनीकी प्रगति भी बहुत तेजी से बढ़ रही है।”
चेंगदू जे-20 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, जो पहले ही भारत की सीमाओं के पास तैनात किए जा चुके हैं, चीन की तेजी से बढ़ती सैन्य ताकत का प्रमाण हैं।
भारत की चुनौतियां: स्वदेशी परियोजनाओं में देरी
IAF चीफ ने भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम, विशेष रूप से तेजस मार्क-1ए, में हो रही देरी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका से GE-F404 जेट इंजन की धीमी आपूर्ति के कारण इन परियोजनाओं की गति धीमी हो रही है।
चीन के मुकाबले, भारत का एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट अभी प्रारंभिक चरण में है, और इसका पहला प्रोटोटाइप 2028 तक ही तैयार हो पाएगा।
स्वदेशीकरण पर जोर: आत्मनिर्भर भारत का विज़न
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का हवाला देते हुए, एयर चीफ ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने वायु सेना की कुछ प्रमुख पहलें गिनाईं:
- स्वदेशीकरण अभियान: IAF के बेस रिपेयर डिपो ने MSMEs के सहयोग से लगभग 50,000 घटकों को स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
- नवाचार प्रोग्राम: मेहर बाबा-I, iDEX, और ADITI जैसी योजनाओं के तहत निजी उद्योगों और स्टार्टअप्स को शामिल किया गया है।
- एयरोस्पेस डिज़ाइन निदेशालय: भविष्य की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक समर्पित विभाग स्थापित किया गया है।
एयर चीफ ने कहा, “देरी से मिलने वाली तकनीक, तकनीक से वंचित होने के बराबर है।” उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी परियोजनाओं में शुरू में लागत अधिक हो सकती है, लेकिन यह देश को दीर्घकालिक रणनीतिक स्वतंत्रता प्रदान करेगी।
पीछे रहने की कीमत
चीन की तेजी से बढ़ती वायु शक्ति के सामने, भारत को अपने स्वदेशी कार्यक्रमों में देरी के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है। एयर चीफ ने चेतावनी दी, “R&D लागतों और सीमित उत्पादन संख्या से लागत बढ़ सकती है, लेकिन आत्मनिर्भरता का यही मूल्य है।”
समय पर कार्रवाई की जरूरत
जबकि वैश्विक सुरक्षा स्थिति लगातार अस्थिर होती जा रही है, भारत को अपनी सीमाओं पर बाहरी खतरों और रक्षा क्षेत्र में आंतरिक चुनौतियों का तुरंत समाधान करना होगा। वायु सेना की स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करना बेहद महत्वपूर्ण है।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की यह चेतावनी देश के लिए एक वेक-अप कॉल है कि वह अपनी रक्षा तैयारियों को तेज करे और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहे।