चंडीगढ़, 25 जून, (The News Air)
पंजाब में कांग्रेस के अंदरूनी कलह को शांत करने के लिए पार्टी हाईकमान ने जो 18 सूत्रीय फार्मूला पेश किया है वह मुख्यमंत्री के विरोधी खेमे को हज़म नहीं हो रहा है। कांग्रेस कमेटी के समक्ष नाराज़गी दर्ज़ करवाकर आए कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने वीरवार को हाईकमान के फार्मूले पर मंथन किया। इस मंथन के उपरांत वह इस नतीजे पर पहुंचे कि फार्मूला केवल समय को बिताने की नीति है।
एक ओर जहां नाराज़ गुट की नाराज़गी कम होने का नाम नहीं ले रही है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन 18 सूत्रीय फार्मूलों की स्क्रूटनी करने लगे है, जिन पर सरकार तीव्र गति से कार्य कर सके। मुख्यमंत्री के एजेंडे पर सबसे पहले कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर बनाई गई एस.आइ.टी., जो कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ करने के उपरांत अब 26 जून को सुखबीर सिंह बादल से पूछताछ करने की तैयारी में है।
दूसरा निजी थर्मल प्लांटों से हुए बिजली ख़रीद समझौते और ड्रग्स मामला हैं। मुख्यमंत्री ने बुधवार को दिल्ली से लौटने के बाद इस संबंध में अधिकारियों व कुछ करीबियों से चर्चा भी की है। हालांकि इन तीनों ही मामले में क़ानूनी पेचीदगियां है, परन्तु माना जा रहा है कि सरकार इस संबंध में अपनी ओर से कार्रवाई करना चाहती है, ताकि वर्तमान हालात को संभाला जा सके।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री से नाराज़ चल रहा गुट यह मान रहा है कि जो काम साढ़े चार सालों में नहीं हो सका अब इतने कम समय में कैसे पूरा हो जाएगा। क्या बेअदबी कांड में लोगों को इंसाफ मिल जाएगा, क्या सरकार हाई कोर्ट में पड़ी एस.आइ.टी. प्रमुख रहे हरप्रीत सिद्धू द्वारा दी गई ड्रग्स मामले की सीलबंद रिपोर्ट को खुलवा सकेगी, क्या सरकार वास्तव में पावर पर्चेस एग्रीमेंट को रद्द करके आम लोगों को राहत दे सकेगी। इसमें सबसे बड़ी बात क्या जो आम धारणा है कि कांग्रेस सरकार अकाली दल के साथ मिले हुए हैं, को बदला जा सकेगा।
कांग्रेस के एक मंत्री ने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने हमें चुप रहने के लिए कहा है। हम पार्टी हाईकमान की बात को स्वीकार करेंगे। हम सार्वजनिक मंच पर जाकर कुछ नहीं कहेंगे। सभी सवाल आज भी वहीं पर खड़े है। 2017 में 33 विधायकों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को बिक्रम सिंह मजीठिया के ख़िलाफ़ ड्रग्स मामले की जांच करवाने के लिए कहा था। इस पत्र में वह बयान भी है, जो ख़ुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव के दौरान कहे थे। इस पत्र का आज तक मुख्यमंत्री की ओर से संज्ञान नहीं लिया गया, जो सरकार 2 साल से हाईकोर्ट में बंद लिफ़ाफ़े को नहीं खुलवा सकी, जिसमें ड्रग्स मामले की रिपोर्ट है, तो उससे इतने कम समय में क्या उम्मीद की जा सकती है। अब देखना केवल यह होगा कि हाईकमान आगे क्या कदम उठाता है।
200 यूनिट मुफ़्त बिजली की बात नहीं उतर रही गले- कांग्रेस के नेताओं को पार्टी के प्रभारी हरीश रावत द्वारा सभी बिजली उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ़्त बिजली वाली बात कांग्रेस के नेताओं के गले से नहीं उतर रही है। कांग्रेस के नेता यह नहीं समझ पा रहे हैं कि प्रदेश प्रभारी ने यह बात कैसे कह दी, क्योंकि कांग्रेस कमेटी के सामने सभी को 200 यूनिट मुफ़्त बिजली का कोई मुद्दा भी नहीं उठा था और न ही कांग्रेस ने 200 यूनिट मुफ़्त बिजली देने का कोई चुनावी वादा किया था।
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