Tarn Taran By-Election: पंजाब की तरनतारन सीट पर हो रहा उपचुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। यहां मुकाबला सिर्फ बड़ी पार्टियों के बीच नहीं है, बल्कि एक ऐसी महिला भी मैदान में हैं, जिसने 12 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर मौजूदा ‘आप’ विधायक को सजा दिलाई थी। इस एंट्री ने सियासी पंडितों का सारा गणित बिगाड़ दिया है।
चर्चा में क्यों हैं हरबिंदर?
तरनतारन उपचुनाव में कांग्रेस, ‘आप’, बीजेपी और अकाली दल जैसे बड़े खिलाड़ी तो हैं ही, लेकिन हरबिंदर कौर उसमां के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है। हरबिंदर कोई पारंपरिक नेता नहीं हैं, बल्कि वह एक एक्टिविस्ट हैं, जिनकी पहचान न्याय के लिए लड़ने वाली एक निडर आवाज के तौर पर है।
विधायक लालपुरा से सीधा संघर्ष
हरबिंदर उसमां वही महिला हैं, जिन्होंने 2013 के एक चर्चित मामले में खडूर साहिब से आम आदमी पार्टी के विधायक मनजिंदर सिंह लालपुरा के खिलाफ 12 साल तक केस लड़ा। इसी साल अदालत ने लालपुरा और सात अन्य पुलिसकर्मियों को चार साल कैद की सजा सुनाई थी। अब उसी संघर्ष की बुनियाद पर वह चुनावी मैदान में हैं।
क्या हैं चुनावी मुद्दे?
हरबिंदर का एजेंडा साफ है। वह पुलिस अत्याचार, महिला सम्मान और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं। उनका कहना है कि तरनतारन नशे और गैंगस्टरों की गिरफ्त में है, बेरोजगारी चरम पर है और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों का शोषण हो रहा है। वह कहती हैं, “मैं दबे-कुचले लोगों की वह आवाज बनना चाहती हूं, जिसे आज तक दबाया गया।”
कौन हैं हरबिंदर कौर उसमां?
हरबिंदर तरनतारन के उसमां गांव की रहने वाली हैं। 2013 में उनके परिवार के साथ पुलिसिया बर्बरता की एक घटना हुई थी। एक शादी समारोह में हुए विवाद के बाद, मदद के लिए बुलाई गई पुलिस ने ही उनके परिवार से मारपीट और सरेआम बदसलूकी की। इस घटना के बाद हरबिंदर ने सिस्टम के खिलाफ लंबी कानूनी जंग छेड़ी, जिसमें उन्हें धमकियां भी मिलीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
यह उपचुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि तरनतारन जिला सीमावर्ती (बॉर्डर) इलाका होने के कारण हमेशा से संवेदनशील रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से नशा तस्करी, गैंगस्टरवाद और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। पारंपरिक राजनीतिक दल इन मुद्दों को हल करने के वादे तो करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत नहीं बदली। ऐसे में, हरबिंदर उसमां जैसी उम्मीदवार, जिसकी पृष्ठभूमि व्यवस्था से लड़ने की रही है, वह जनता के एक बड़े वर्ग को अपनी ओर खींच सकती हैं।
15 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला
इस बार तरनतारन के मैदान में कुल 15 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। प्रमुख दलों के अलावा सांसद अमृतपाल सिंह की पार्टी ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है। यह मुकाबला अब बहुकोणीय हो गया है।
बड़ी पार्टियों का ‘विकल्प’ बनने की कोशिश
हरबिंदर उसमां खुद को किसी पार्टी का प्रतिद्वंद्वी नहीं मानतीं। उनका कहना है कि उनकी लड़ाई सीधे जनता के मुद्दों के लिए है। एक तरफ जहां स्थापित पार्टियां अपने वोट बैंक पर निर्भर हैं, वहीं हरबिंदर अपनी संघर्षशील छवि के दम पर एक ‘तीसरे विकल्प’ के तौर पर उभर रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि 12 साल तक सड़क पर न्याय के लिए लड़ने वाली यह महिला, क्या अब विधानसभा में अपनी जगह बना पाएगी।
खबर की मुख्य बातें (Key Points)
- हरबिंदर कौर उसमां तरनतारन उपचुनाव में एक उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं।
- उन्होंने ‘आप’ विधायक मनजिंदर सिंह लालपुरा के खिलाफ 12 साल पुराना पुलिस अत्याचार का केस लड़ा और उन्हें सजा दिलवाई।
- हरबिंदर नशा, गैंगस्टरवाद और बेरोजगारी को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरी हैं।
- उनका मुकाबला कांग्रेस, ‘आप’, बीजेपी और अकाली दल समेत कुल 15 उम्मीदवारों से है।






