H-1B Visa Holders Warning: अमेरिका में नौकरी कर रहे विदेशी प्रोफेशनल्स, खासकर भारतीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी और डराने वाली खबर सामने आई है। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियां Google और Apple ने अपने कर्मचारियों को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि वे फिलहाल अमेरिका से बाहर यात्रा न करें। यह चेतावनी डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन की सख्त वीजा नीतियों और बढ़ती जांच प्रक्रिया को देखते हुए जारी की गई है।
Business Insider की रिपोर्ट के मुताबिक, Google और Apple ने अपने एम्प्लॉयीज को इंटरनल मेमो (Internal Memo) भेजकर अलर्ट किया है। इस मेमो में खासतौर पर H-1B और अन्य वर्क वीजा पर काम कर रहे लोगों को सलाह दी गई है कि इस समय विदेश यात्रा करना ‘बेहद जोखिम भरा’ (Risky) हो सकता है। कंपनियों को डर है कि अगर कर्मचारी देश से बाहर गए, तो सख्त नियमों के चलते उनका वापस लौटना मुश्किल हो सकता है।
‘सोशल मीडिया की भी होगी जासूसी’
वीजा नियमों में आए बदलावों ने कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। नए DHS Rules (डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी) के तहत अब वीजा आवेदकों को अपने पिछले 5 साल की सोशल मीडिया हिस्ट्री (Social Media History) की जानकारी भी देनी पड़ रही है। यानी Facebook, Instagram और X (Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर आपने क्या पोस्ट किया, इसकी भी जांच होगी। इस ‘एक्स्ट्रा चेकिंग’ (Extra Checking) की वजह से वीजा अपॉइंटमेंट्स में महीनों की देरी हो रही है।
1 लाख डॉलर फीस और नौकरी का खतरा
मुसीबत सिर्फ जांच तक सीमित नहीं है। व्हाइट हाउस ने इस साल की शुरुआत में ऐलान किया था कि अब हर नए H-1B Visa के लिए कंपनियों को 1 लाख डॉलर (करीब 84 लाख रुपये) की फीस देनी होगी। आमतौर पर यह वीजा 3 साल के लिए होता है, और रिन्यूअल के लिए कर्मचारियों को अपने देश जाकर इंटरव्यू देना पड़ता है। लेकिन अब डर यह है कि इंटरव्यू की डेट नहीं मिल रही और लोग अपने ही देश में फंस रहे हैं।
कानूनी फर्मों ने दी ‘नो ट्रैवल’ की सलाह
Google की इमिग्रेशन लॉ फर्म ‘बेरी एप्पल मैन एंड लेडन’ और Apple की लॉ फर्म ‘फ्रैगोमैन’ ने भी स्पष्ट सलाह दी है कि जिनके पास वैलिड वीजा स्टैम्प नहीं है, वे विदेश यात्रा बिल्कुल न करें। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि भारत गए सैकड़ों H-1B वीजा होल्डर्स के अपॉइंटमेंट अचानक कैंसिल या पोस्टपोन कर दिए गए हैं, जिससे उनकी नौकरी और लीगल स्टेटस दोनों खतरे में पड़ गए हैं।
हमारा विश्लेषण: अमेरिकी सपने पर ग्रहण?
वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह स्थिति भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़े संकट का संकेत है। अमेरिका हमेशा से ‘लैंड ऑफ अपॉर्चुनिटी’ (Land of Opportunity) रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने विदेशी प्रतिभाओं के लिए दरवाजे संकरे कर दिए हैं। 1 लाख डॉलर की फीस और सोशल मीडिया स्क्रूटनी जैसे कदम साफ बताते हैं कि सरकार विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम करना चाहती है। यह न केवल कर्मचारियों के मानसिक तनाव का कारण है, बल्कि सिलिकॉन वैली की कंपनियों के लिए भी टैलेंट को बनाए रखना चुनौती बन जाएगा।
‘जानें पूरा मामला’
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के आने के बाद वीजा नियमों को बेहद सख्त कर दिया गया है। इसी के चलते Google और Apple जैसी कंपनियों ने अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों को देश न छोड़ने की सलाह दी है। वीजा रिन्यूअल में देरी और सोशल मीडिया जांच के कारण कई लोग अमेरिका से बाहर जाने के बाद वापस नहीं लौट पा रहे हैं, जिससे उनकी नौकरी जाने का खतरा पैदा हो गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Google और Apple ने अपने कर्मचारियों को अमेरिका से बाहर यात्रा न करने की चेतावनी दी है।
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नए नियमों के तहत वीजा आवेदकों को 5 साल की सोशल मीडिया हिस्ट्री देनी होगी।
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नए H-1B Visa के लिए कंपनियों को अब 1 लाख डॉलर की भारी फीस चुकानी होगी।
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भारत गए कई वीजा होल्डर्स के अपॉइंटमेंट कैंसिल होने से वे वहीं फंस गए हैं।






