केंद्र सरकार गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल की अवधि के लिए राज्यसभा में एक नया विधेयक पेश करेगी। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) बिल, 2023 गुरुवार को राज्यसभा में पेश होने वाला है। इस बिल में देश के शीर्ष चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को बाहर करने का प्रस्ताव है। CJI के बजाय कानून एक केंद्रीय मंत्री को नियुक्ति समिति का हिस्सा बनाने की सिफारिश की गई है।
राज्यसभा की गुरुवार की संशोधित कार्यसूची के अनुसार विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस नए विधेयक को करेंगे। विधेयक में चुनाव आयोग के कामकाज के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विधेयक में क्या है इसकी डिटेल्स अभी सामने नहीं आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका मकसद मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने CJI को शामिल करने के दिए थे निर्देश
शीर्ष अदालत ने फैसला दिया था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा था कि यह मानदंड तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद में कोई कानून नहीं बन जाता। चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल 14 फरवरी को 65 साल की उम्र होने के बाद रिटायर हो जाएंगे। वह 2024 के लोकसभा चुनावों की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले रिटायर होंगे।
विपक्ष हुआ हमलावर
कांग्रेस ने सरकार द्वारा लाए जाने वाले इस विधेयक को ‘असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित’ करार देते हुए गुरुवार को कहा कि वह इसका हर मंच पर विरोध करेगी। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने यह आरोप भी लगाया कि यह कदम चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास है।
वेणुगोपाल ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का खुला प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले का क्या, जिसमें एक निष्पक्ष आयोग की आवश्यकता की बात की गई है? प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है?”
Blatant attempt at making the Election Commission a total puppet in the hands of the PM.
What about the Supreme Court’s existing ruling which requires an impartial panel?
Why does the PM feel the need to appoint a biased Election Commissioner?
This is an unconstitutional,… https://t.co/injuEBXdQx
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 10, 2023
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को लेकर तीखा हमला किया है। AAP प्रमुख ने X पर लिखा, “मैंने पहले ही कहा था। प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है। जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि PM खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है।”
प्रधान मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की चयन कमेटी में दो बीजेपी के सदस्य होंगे और एक कांग्रेस का। ज़ाहिर है कि जो चुनाव आयुक्त चुने जायेंगे, वो बीजेपी के वफ़ादार होंगे https://t.co/Pfwj6gR9A7
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 10, 2023
केजरीवाल ने आगे लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनाई थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिससे वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी। एक के बाद एक निर्णयों से प्रधानमंत्री जी भारतीय जनतंत्र को कमजोर करते जा रहे हैं।”
सीएम ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की चयन कमेटी में दो बीजेपी के सदस्य होंगे और एक कांग्रेस का। जाहिर है कि जो चुनाव आयुक्त चुने जाएंगे, वो बीजेपी के वफादार होंगे।”