The News Air – पंजाब में चुनाव लड़ रहे किसानों के संयुक्त समाज मोर्चा को चुनाव आयोग ने पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है। इसके लिए पिछले चार दिन से मोर्चा की तरफ़ से प्रयास किए जा रहे थे। यह मान्यता तब मिली है जब संयुक्त समाज मोर्चा के उम्मीदवारों ने नामांकन के आखिरी दिन आज़ाद उम्मीदवारों के तौर पर नामज़दगी पत्र दाखिल किए हैं। मान्यता मिलने के बाद मोर्चा की तरफ़ से इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अब जिसे भी संयुक्त समाज मोर्चा की तरफ़ से लेटर दिया जाएगा उन्हें एक जैसा चुनाव चिन्ह मिल जाएगा और इस पर भी फ़ैसला जल्द आने की उम्मीद है। SSM पार्टी की तरफ़ से ट्रैक्टर ट्राली, हल जोतता किसान और अकेली ट्राली चुनाव चिन्ह में से एक चुनाव चिन्ह देने की मांग की गई है।
कृषि क़ानून वापिस दिलाने के बाद लिया था चुनाव का फ़ैसला
कृषि क़ानून वापिस होने के बाद किसान 10 दिसंबर से वापिस आना शुरू हो गए थे, इसके बाद 25 दिसंबर को फ़ैसला लिया गया कि किसान संगठन चुनाव लड़ेंगे और इसी दिन संयुक्त समाज मोर्चा का एलान कर दिया गया था। तभी से इस मोर्चा को पार्टी बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे। मगर मोर्चा की तरफ़ से दी गई अर्ज़ी पर सवाल खड़े किए गए, मोर्चा की तरफ़ से दी गई फाइल में जब त्रुटियां मिलीं तो वापिस लौटा दिया गया। इस पर राजेवाल ने आरोप भी लगाया कि आम आदमी पार्टी और भाजपा के वकील जानबूझ कर ऐतराज़ लगा रहे हैं और उनकी तरफ़ से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए थे। इसके बाद कल बाद दोपहर इसे मंजूरी दे दी गई।
सभी 177 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया था एलान
संयुक्त समाज मोर्चा ने संयुक्त संघर्ष मोर्चा के साथ मिलकर सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया था। गुरनाम सिंह चढ़ूनी के संयुक्त संघर्ष मोर्चा को 10 सीटें दी गई थीं और संयुक्त समाज मोर्चा को 97 सीटें मिली थीं। मगर आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर बहुत सी जगहों पर उम्मीदवारों नामांकन ही नहीं किए गए हैं। लुधियाना विधान सभा नार्थ से तो उम्मीदवार सुभम अरोड़ा ने तो कांग्रेस में ही शामूलियत कर ली है।
मोर्चा को पार्टी की मान्यता पर ख़ुशी, मगर देरी पर गम
मोर्चा को पार्टी के तौर पर मान्यता मिलने से किसान नेता ख़ुश हैं मगर इसमें हुई देरी कारण उनमें मायूसी है। पार्टी के प्रवक्ता रवनीत सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए लिखा है कि देर आए दुरुस्त आए, बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मोर्चा को पार्टी के रूप में मान्यता देने में देरी हुई है। अगर यह एक दिन पहले हो गया होता तो हमारे उम्मीदवार आज़ाद तौर पर फार्म नहीं भरते थे। मगर अब पार्टी के तौर पर मान्यता मिल गई है तो सभी को एक ही चुनाव चिन्ह मिलेगा और इसका हमें फ़ायदा जरुर होगा।