साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी के बाद बच्चे का जन्म हो गया। वह अच्छी तरह से ग्रोथ कर रहा है। कोई दवा नहीं ले रहा। उसकी डाइट सामान्य है और वजन भी बढ़ रहा है। बच्चा अपने घर आ गया है। उसके दिमाग पर सर्जरी के कोई नकारात्मक संकेत नहीं हैं।
‘वेन ऑफ गैलेन मालफॉर्मेशन’ नाम की असामान्यता 60 हजार में से एक को प्रभावित करती है। मस्तिष्क की धमनियों के कोशिकाओं के बजाए सीधे नसों से जुड़ने पर रक्त का प्रवाह यानी ब्लड फ्लो असामान्य हो जाता है। इस वजह से बच्चे के जन्म के बाद उसमें कई हानिकारक असर दिखाई देते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी स्थिति से प्रभावित 50 से 60 फीसदी बच्चे जन्म के फौरन बाद बीमार हो जाएंगे। इसमें मृत्यु दर भी 40 फीसदी है।
सर्जरी तब की गई, जब भ्रूण की उम्र 34 हफ्ते से थोड़ा अधिक थी। डॉक्टरों ने जिस एम्बोलिजेशन नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया, उसमें नसों में खास मटीरियल डाला जाता है मसलन-क्लॉटिंग एजेंट। इससे ब्लड को जमने में मदद मिलती है और उसे बहने से रोका जाता है। सर्जरी की वजह से बच्चे का जन्म तय वक्त से पहले हो गया। जन्म के बाद उसका मस्तिष्क और हार्ट सही तरीके से काम करने लगे थे। बच्चा समय से पहले पैदा हुआ था, इसलिए उसे कुछ हफ्तों तक एनआईसीयू में रखा गया।