Fiscal Deficit 2024-25: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों (अप्रैल-दिसंबर 2024) में 9.14 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) दर्ज किया है, जो इस वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य का 56.7% है। यह आंकड़ा सरकार द्वारा 31 जनवरी 2025 को जारी किया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को Fiscal Consolidation (वित्तीय समेकन) की ओर बढ़ना चाहिए ताकि इकोनॉमी पर बढ़ते कर्ज का दबाव कम किया जा सके।
Fiscal Deficit क्यों बढ़ा?
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कैपिटल एक्सपेंडिचर में गिरावट: सरकार का Capital Expenditure (पूंजीगत व्यय) 6.9 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कुल बजट लक्ष्य (11.1 लाख करोड़ रुपये) का 61.7% है। यह पिछले वित्त वर्ष के 67.3% से कम है।
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कमाई और खर्च में अंतर: केंद्र सरकार की कमाई और खर्च में बढ़ता अंतर फिस्कल डेफिसिट का मुख्य कारण है।
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वैश्विक आर्थिक अस्थिरता: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता और बढ़ती ब्याज दरों का असर सरकारी वित्तीय स्थिति पर भी पड़ा है।
Fiscal Deficit का असर क्या होगा?
- ब्याज दरों में बदलाव: उच्च राजकोषीय घाटा RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) को मौद्रिक नीति में बदलाव के लिए मजबूर कर सकता है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर असर: पूंजीगत व्यय में गिरावट से रेलवे, हाईवे, डिफेंस और हेल्थ सेक्टर के प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ सकता है।
- महंगाई दर पर प्रभाव: यदि सरकार ज्यादा उधार लेती है तो महंगाई बढ़ सकती है, जिससे आम जनता पर असर पड़ेगा।
क्या बजट 2025-26 में होगा कोई बड़ा ऐलान?
सरकार फरवरी 2025 में आगामी बजट पेश करेगी, जिसमें Fiscal Deficit को नियंत्रित करने के लिए नए उपायों की घोषणा की जा सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार का अगले वित्त वर्ष का फिस्कल डेफिसिट टारगेट GDP के 4.5% से 5% के बीच रह सकता है।
बता दें कि मनीकंट्रोल (Moneycontrol) द्वारा किए गए एक पोल में एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार 2025-26 के बजट में फिस्कल डेफिसिट को कम करने के लिए सख्त उपाय कर सकती है।
भारत का Fiscal Deficit मौजूदा बजटीय लक्ष्य से अधिक हो रहा है, लेकिन सरकार इसे काबू में रखने के लिए आर्थिक सुधारों, राजस्व बढ़ाने और पूंजीगत व्यय को नियंत्रित करने जैसे कदम उठा सकती है। आने वाले बजट 2025-26 में इस पर और स्पष्टता मिलेगी।






