EVM Data Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) में मौजूद चुनावी डेटा को नष्ट न किया जाए। कोर्ट ने यह आदेश EVM और VVPAT सत्यापन से जुड़े एक अहम केस की सुनवाई के दौरान दिया।
यह फैसला भारतीय लोकतंत्र (Indian Democracy) और चुनावी पारदर्शिता के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि EVM से जुड़े डाटा की उचित जांच हो सके और चुनावी प्रक्रिया पर जनता का भरोसा बना रहे।
EVM और VVPAT डेटा को लेकर क्यों आया यह आदेश?
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी पारदर्शिता और EVM-VVPAT सत्यापन (Verification) से जुड़े एक केस की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान एक याचिका में मांग की गई थी कि EVM और VVPAT डेटा को लंबे समय तक संरक्षित रखा जाए ताकि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि चुनाव आयोग किसी भी परिस्थिति में EVM डेटा को नष्ट नहीं कर सकता।
अगर हारने वाला उम्मीदवार स्पष्टीकरण चाहता है, तो इंजीनियर दे सकता है
CJI संजीव खन्ना ने कहा, यह विरोधात्मक नहीं है. अगर हारने वाला उम्मीदवार स्पष्टीकरण चाहता है तो इंजीनियर स्पष्टीकरण दे सकता है कि छेड़छाड़ नहीं हुई है.तीन मार्च से शुरू हफ्ते में इस पर सुनवाई होगी. याचिका में मांग की गई है कि EVM की जली हुई मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर को इंजीनियर से सत्यापित किया जाए कि EVM से छेड़छाड़ नहीं हुई है.
EVM के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली
बता दें कि परिणामों पर संदेह की स्थिति में EVM के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिकाओं पर CJI संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की . एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( ADR), हरियाणा कांग्रेस के नेता सर्व मित्तर, करण सिंह दलाल और द्वारा दायर याचिकाओं में EVM के घटकों की मूल जली हुई मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए नीति बनाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल की याचिका को खारिज कर दिया.
EVM और VVPAT क्या हैं और क्यों मचा बवाल?
✅ EVM (Electronic Voting Machine): यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिससे भारत में चुनाव कराए जाते हैं।
✅ VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail): यह एक प्रिंटर आधारित सिस्टम है, जो EVM से जुड़ा होता है और वोटर को उसके वोट की पुष्टि का एक पेपर स्लिप दिखाता है।
मुद्दा यह है कि अगर EVM और VVPAT के डेटा को जल्दी नष्ट कर दिया जाता है, तो भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में उसकी जांच नहीं हो सकेगी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि EVM-VVPAT डेटा को सुरक्षित रखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
🔹 कोर्ट ने कहा कि EVM और VVPAT डेटा को पर्याप्त समय तक सुरक्षित रखना जरूरी है, ताकि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठे।
🔹 चुनाव आयोग (EC) को सख्त निर्देश दिया गया कि वह इस डेटा को डिलीट या नष्ट न करे।
🔹 अगर आगे किसी चुनावी विवाद की जांच होती है, तो यह डेटा बेहद अहम साबित हो सकता है।
EVM डेटा सुरक्षित रखने की मांग क्यों हो रही है?
भारत में EVM से जुड़े कई विवाद पहले भी सामने आ चुके हैं। कई राजनीतिक दलों ने EVM में हेराफेरी (Tampering) और चुनावी धांधली (Rigging) के आरोप लगाए हैं। ऐसे में यह आदेश पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी माना जा रहा है।
🔸 कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चुनावी प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता लानी है, तो EVM और VVPAT डेटा को लंबे समय तक संरक्षित रखना होगा।
🔸 इस डेटा की मदद से किसी भी चुनावी विवाद की गहराई से जांच की जा सकेगी।
क्या चुनाव आयोग इस फैसले को मानेगा?
चुनाव आयोग (EC) ने पहले कहा था कि वह चुनावी डेटा को जरूरत के हिसाब से एक निश्चित समय तक सुरक्षित रखता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद EC को EVM-VVPAT डेटा को अनिश्चितकाल तक संरक्षित रखना पड़ सकता है।
क्या होगा अगर यह डेटा सुरक्षित नहीं रहता?
अगर EVM और VVPAT डेटा को जल्दी नष्ट कर दिया जाता है, तो चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।
- भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में जांच मुश्किल हो जाएगी।
- राजनीतिक दलों और जनता का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास कम हो सकता है।
- लोकतंत्र की पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है।
क्या इस फैसले से EVM विवाद खत्म होगा?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन EVM को लेकर विवाद पूरी तरह खत्म नहीं होगा। कई विपक्षी दल अभी भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस आदेश को कैसे लागू करता है और क्या EVM को लेकर चल रहे विवादों को शांत किया जा सकेगा।