Kisan Andolan 2021: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2021 किसान आंदोलन (Farmers Protest 2021) से जुड़े दो व्यक्तियों थिलकसरी करुपानंद (Thilaksari Karupanand) और शांतनु मुलुक (Shantanu Muluk) के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (LOC) को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि जांच में सहयोग करने वाले लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है।
कोर्ट ने कहा – “बेवजह की रोक, कोई ठोस आधार नहीं”
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला (Justice Sanjeev Narula) ने 31 जनवरी 2024 को यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि इन लोगों के खिलाफ कोई कोर्ट ऑर्डर नहीं था, जिसमें उन्हें देश में ही रहने को कहा गया हो।
कोर्ट ने साफ किया कि लुकआउट सर्कुलर का मकसद उन लोगों को रोकना होता है जो जांच से बच रहे हों या कानूनी प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हों। चूंकि दोनों आरोपियों ने जांच में पूरा सहयोग दिया और बार-बार विदेश यात्रा कर भारत लौटे, इसलिए उनके खिलाफ यह सर्कुलर जारी रखना गलत होगा।
2021 में दर्ज हुई थी FIR, अब तक चार्जशीट नहीं
कोर्ट ने पाया कि थिलकसरी करुपानंद और शांतनु मुलुक के खिलाफ 2021 की FIR में उनका विशेष रूप से उल्लेख नहीं था। इसके बावजूद उनके खिलाफ LOC जारी कर दिया गया था।
दिल्ली पुलिस की जांच चार साल बाद भी पूरी नहीं हुई है, और अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। कोर्ट ने इस देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “इतने लंबे समय तक जांच चलने और कोई औपचारिक आरोप नहीं लगने से केवल यात्रा प्रतिबंध ही जारी रहते हैं, जो उचित नहीं है।”
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के प्रमुख बिंदु
✅ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का कोई ठोस आधार नहीं था।
✅ जांच में पूरा सहयोग देने के बावजूद विदेश यात्रा पर रोक लगाना गलत।
✅ चार साल बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई, जिससे यह प्रतिबंध अनावश्यक बना।
✅ ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन और गृह मंत्रालय को रिकॉर्ड अपडेट करने के आदेश दिए गए।
दिल्ली पुलिस ने दी यह दलील, लेकिन कोर्ट नहीं हुआ सहमत
दिल्ली सरकार के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जांच अभी भी जारी है और यह आशंका है कि आरोपी देश छोड़कर भाग सकते हैं।
यह मामला 26 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में हुए किसान आंदोलन (Farmers Protest 2021) के दौरान दर्ज FIR से संबंधित है। FIR में आरोप लगे थे कि प्रदर्शनकारियों ने राजद्रोह (Sedition), सांप्रदायिक उकसावे (Promoting Enmity), आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) जैसे गंभीर अपराध किए।
क्या था 26 जनवरी 2021 किसान आंदोलन विवाद?
किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने लाल किले (Red Fort) पर धार्मिक झंडा फहराया, जिससे भारी विवाद हुआ।
दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 124A (राजद्रोह), 153A (धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर दुश्मनी फैलाना), 153 (उकसाना) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत FIR दर्ज की थी। सरकार का कहना था कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला, जबकि किसान संगठनों ने इसे सरकार की साजिश करार दिया।
हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित लोग कौन हैं?
थिलकसरी करुपानंद (Thilaksari Karupanand) और शांतनु मुलुक (Shantanu Muluk) कौन हैं?
🔹 ये दोनों किसान आंदोलन के समर्थकों में शामिल थे और प्रदर्शन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।
🔹 FIR में इनका सीधे नाम नहीं था, लेकिन फिर भी इनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था।
🔹 अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद दोनों की विदेश यात्रा पर लगे प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
क्या होगा आगे?
👉 दिल्ली पुलिस SC में इस फैसले को चुनौती दे सकती है।
👉 किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मामलों की भी नए सिरे से जांच हो सकती है।
👉 अगर चार्जशीट नहीं दाखिल हुई तो अन्य आरोपियों को भी राहत मिल सकती है।