2022 में “हमारा समय अभी है, हमारे अधिकार, हमारा भविष्य”
2023 घोषणा अभी बाकी है… (अगर आप को पता है तो कमेन्ट में ज़रूर बताइए)
आधुनिक युग में बालक और बालिका में बर्ती जा रही असमानता के उदहारण
भ्रूण हत्या : खुश खबरी आनेवाली है, लड़का होगा या लड़की, अब लड़की हुई तो सब को चाय पिलाएँगे, लड़का हुआ तो पेडे बटेंगे, यह बात हमने कई जगह सुनी होगी, इस से भी बत्तर कई बार तो मेडिकल साइंस का दुरूपयोग कर के लड़की (Girl Child) को पैदा होने से ही रोक दिया जाता है | अब एक तो अजन्मा बच्चिओं की निर्मम हत्या और ऊपर से पैदा करने वाली महिला को ऐसे इस्तमाल किया जाता है जैसे वह इन्सान न हो कर लड़का बनाने की बस मशीन लगी हो |
पहचान मिटाना : युवा पुरुष जब विवाह करता है तब बड़ी शान से अपना सरनेम सलामत रखता है, नारी का सरनेम बदल दिया जाता है, कहीं कहीं तो नाम भी पति से मिलता जुलता किया जाता है, कुछ फैशनेबल युवतियां दोनों सरनेम जोडती हैं जैसे की गुप्ता चावला, कपूर खान वगेरह,, लेकिन यह नेक काम पुरुषों द्वारा कभी नहीं किया जाता |
हर बात पर भेदभाव : सरकार भले ही बेटे और बेटी की बराबरी की बात करे लेकिन समाज के कई हिस्सों में इनके भोजन और कपड़ों जैसी प्राथमिक ज़रूरतों को ले कर भी भेदभाव किया जाता है, लड़के को बुढ़ापे की लाठी और पूंजी के जैसे लाड़ और लड़की को अनचाहा बोज समझा जाता है, प्रथा और परंपरा का यह पूरा चक्रव्यूह दरअसल स्वार्थ की बुनियाद पर टिका है |
कायदों में भी असमानता : बालिका अगर आधा बदन नंगे गली में घूम आये तो बेशरम, और लड़का ऐसा करे तो मर्दानगी की निशानी, फिल्मों में भी half Nakid होना पुरुषों को आजादी है, यही हरकत महिला कर दे तो फिल्म अडल्ट केटेगेरी में घुस जाती है, मोर्चे निकल आते हैं, दंगे भी हो सकते हैं, जो परिदृश्य महिलाओं के लिए अशोभनीय है वह पुरुषों के लिए शोभनीय कैसे हो सकता है |
लिंग के आधार पर रोकटोक : समाज के दोगलेपन के कई जिवंत उदहारण हैं, जैसे की रात को बाहर काम करने वाली महिला, दोपहिया वाहन में किसी लड़के के साथ घुमने वाली लड़की, पुरुषों से भरे ऑफिस में अकेले काम करने वाली स्त्री, इन सभों पर हमेशा टिपण्णी होती है, सवाल उठते हैं लेकिन 10 लड़कियों के बीच डींगे हांकने वाला लड़का कन्हया बना घूमता है, इस से किसी को दिक्कत नहीं होती | यानि लड़का करे तो रास लीला और लड़की करे तो कैरेक्टर ढीला |
परवाह का दिखावा : गर्ल चाइल्ड को ले कर सुरक्षा और चिंता के नाम पर रोकटोक और शोषण भी बहुत आम है, जैसे की वहां लोग अच्छे नहीं है, हमें तुम्हारी चिंता होगी, यहाँ मत जाओ, ये मत करो, वो मत करो, सोशल मिडिया पर फोटो तक मत डालो, बहुत ज्यादा लोगों से जानपहचान मत बनाओ, हमें यह सब छोटे मोटे काम करने की क्या ज़रूरत हैं वगेरह…, दरअसल यह सब नारी जाती को काबू रखने की चालाकियों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है | क्यूँ की जिसको परवाह होती है वह रास्ता खोजेगा, प्रतिबंध नहीं लगाएगा |
“लाख गुलाब लगा लो आँगन में, जीवन में खुशबु तो बेटी के आने से ही होगी “
FAQ
Q – भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाया जाता है ?
A – देश में नेशनल “गर्ल चाइल्ड डे” प्रतिवर्ष 24 जनवरी को मनाया जाता है |
Q – भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस की मानाने की शुरुआत कब से हुई ?
A – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इसकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी |
Q – बालिका सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम क्या क्या हैं?
A – भारत सरकार ने इस प्रयोजन हेतु बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2009, घरेलू हिंसा अधिनियम 2009 तथा दहेज रोकथाम अधिनियम 2006 जैसे कई कठोर कदम उठाऐ हैं जिस से समाज की इन कुरीतियों को प्रबलता से कुचला जा सके।
Q – स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कैसी भूमिका अदा करते हैं?
A – इस दिन शिक्षा संस्थानों में गायन, वकतृत्व, पेंटिंग, ड्रॉइंग, जैसी अवनवी स्पर्धाएं आयोजित की जाती है, और छात्रों-छात्रओं को महिला-पुरुष समान अधिकार से जूड़ी सिख दी जाती है।
Q – अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाया जाता है?
A – विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है।
Q – राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने से क्या होगा?
A – जिस समाज में नारी जाति का सम्मान नहीं, वह कतय आदरणीय नहीं होता, जिस घर में महिलाओं का मान नहीं वह घर भी इज्जत नहीं पा सकता, बालिकाओं का सम्मान दिवस मनाने उनके लिए तो लाभदायी है ही, लेकिन उस से कई ज्यादा यह हमारे मानव समाज के लिए कल्याणकारी है।
समापन :
National Girl Child Day अर्थात राष्ट्रीय बालिका दिवस नर-नारी समानता का प्रतिक है | इस महत्वपूर्ण मसले पर हर एक मानव को बढ़ चढ़ कर योगदान देना चाहिए, समाज के सभी वर्ग एकजुट हो कर इस विकट समस्या पर वार करेंगे तभी सुवर्ण समाज का निर्माण होगा, जिसमें शोषण, अत्याचार, गुलामी, असमानता, अराजकता और भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं होगी, हर एक लिंग, जाती, वर्ण, धर्म, संप्रदाय और वर्ग के लोग साथ मिल कर राष्ट्रीय बालिका दिवस पर जागरूकता फैलाएं यह हमारी अपील यही हमारी कामना – जयहिन्द