Marriage Registration – दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 2006 के आदेश का पालन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि शादी पंजीकरण (Marriage Registration) को अनिवार्य करने के निर्देश के बावजूद इसे लागू क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने मोदी सरकार को आदेश दिया कि वे तीन महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें।
SC के आदेश का पालन न करने पर हाई कोर्ट की नाराजगी
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya) और जस्टिस तुषार राव गेडेला (Justice Tushar Rao Gedela) की बेंच ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली और दयनीय स्थिति है कि सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेश को अब तक लागू नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में फैसला सुनाया था कि सभी धर्मों की शादियों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाए। लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
Marriage Registration को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2006 में आदेश दिया था कि देश में होने वाली सभी शादियां, चाहे वे किसी भी धर्म से जुड़ी हों, अनिवार्य रूप से पंजीकृत होनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को तीन महीने के भीतर Marriage Registration के लिए नियम बनाने और उन्हें अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।
इस आदेश के अनुपालन में, दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने 21 अप्रैल 2014 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसे दिल्ली (शादी का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के रूप में जाना जाता है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इस आदेश में कई खामियां गिनाईं और सरकार को सूचित किया कि इसमें जरूरी सुधार की आवश्यकता है।
हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा कि अब तक Marriage Registration के लिए केंद्रीय डेटाबेस (Centralized Database) क्यों नहीं बनाया गया। कोर्ट ने सरकार को इस मुद्दे पर उचित कदम उठाने और 9 जुलाई को अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता आकाश गोयल (Akash Goyal) ने दलील दी कि 2006 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। इसके कारण शादी पंजीकरण प्रणाली न केवल अव्यवस्थित और अपूर्ण है, बल्कि इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, कोई व्यक्ति दिल्ली में शादी कर पंजीकरण करा सकता है, जबकि वह पहले से ही किसी अन्य राज्य में शादीशुदा हो सकता है।
सरकार को Marriage Registration के लिए ठोस कानून बनाने का निर्देश
जब दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुसार नियम बनाए गए हैं, तो हाई कोर्ट ने इसे अपर्याप्त बताया। कोर्ट ने कहा कि यह नियम केवल कार्यकारी आदेश (Executive Order) हैं, जबकि Marriage Registration के लिए ठोस कानून (Legislation) बनाना जरूरी है।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
- “यह चौंकाने वाला है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू नहीं कर रहे हैं।”
- “Marriage Registration से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्पष्ट और प्रभावी नियम बनने चाहिए।”
- “ये ऐसे मामले नहीं हैं, जो बार-बार कोर्ट में आएं। सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।”
Marriage Registration के लिए नियम क्यों जरूरी?
अलग-अलग राज्यों में Marriage Registration के नियम अलग-अलग होने के कारण, कई कानूनी और प्रशासनिक दिक्कतें आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में Marriage Registration को अनिवार्य करने के निर्देश दिए थे ताकि –
- शादी से जुड़े विवादों और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
- महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा हो।
- दूसरी शादी और अवैध विवाह पर रोक लगाई जा सके।
- सरकार के पास सभी विवाहों का आधिकारिक रिकॉर्ड हो।
अब हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि तीन महीने के अंदर Marriage Registration के लिए स्पष्ट कानून बनाएं और इसे पूरे देश में लागू करें।