Delhi Red Fort Blast Investigation: देश की राजधानी दिल्ली को दहला देने वाले लाल किला ब्लास्ट मामले में एक ऐसा खुलासा हुआ है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। जांच की आंच अब फरीदाबाद की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी तक पहुंच गई है, जहां से गिरफ्तार किए गए एक ‘पढ़े-लिखे’ डॉक्टर के तार सीधे विदेशी आतंकी आकाओं से जुड़े मिले हैं। यह साजिश इतनी गहरी थी कि इसे अंजाम देने के लिए सात समुंदर पार से डिजिटल तरीके से निर्देश दिए जा रहे थे।
’42 वीडियो और बम बनाने की क्लास’
जांच एजेंसियों के हाथ एक बेहद अहम सुराग लगा है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किए गए आतंकी डॉ. मुजम्मिल अहमद से पूछताछ में सामने आया है कि उसे विदेश से बम बनाने के एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 42 वीडियो भेजे गए थे। ये वीडियो किसी साधारण व्हाट्सएप या ईमेल से नहीं, बल्कि बेहद सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड ऐप्स (Encrypted Apps) के जरिए भेजे गए थे।
इन वीडियोज में बम तैयार करने, खतरनाक रसायनों को मिलाने, टाइमर जैसे उपकरण बनाने और विस्फोटकों को छिपाने की पूरी ट्रेनिंग दी गई थी। हैरानी की बात यह है कि फरीदाबाद मॉड्यूल में केवल मुजम्मिल ही वह शख्स था, जिसे विदेशी हैंडलर्स ने यह खास ‘डिजिटल ट्रेनिंग’ दी थी।
‘यूनिवर्सिटी का कमरा नंबर 13 और 4’
साजिश का केंद्र बिंदु फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का बिल्डिंग नंबर 17 बना हुआ था। जांच में पता चला है कि यहां के दो कमरे आतंकियों की गुप्त बैठकों का मुख्य अड्डा थे। कमरा नंबर 13, जो डॉ. मुजम्मिल का था, और कमरा नंबर 4, जो फिदायीन हमलावर उमर नबी का था।
यहीं पर खौफनाक साजिशों का ताना-बाना बुना जाता था। यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी-छिपे खतरनाक रसायन (Chemicals) निकालकर मुजम्मिल के कमरे तक पहुंचाए जाते थे। मुजम्मिल ने कैंपस से थोड़ी दूर पर एक और गुप्त ठिकाना बना रखा था, जहां से जांच एजेंसियों को इलेक्ट्रिक ट्रिगर, रॉकेट जैसे मटीरियल और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए हैं।
‘विदेशी आका: हंजुल्ला, निसार और उकासा’
इस पूरी साजिश के पीछे तीन रहस्यमय विदेशी नाम सामने आए हैं—हंजुल्ला, निसार और उकासा। जांच एजेंसियों को शक है कि ये असली नाम नहीं बल्कि कोड नेम हो सकते हैं। इनमें से ‘हंजुल्ला’ वही शख्स है जिसने मुजम्मिल को बम बनाने वाले 42 वीडियो भेजे थे।
मुजम्मिल ने इन्हीं निर्देशों का पालन करते हुए विस्फोटक जमा किए और उसे दिल्ली ब्लास्ट के लिए उमर नबी तक पहुंचाया। इसके अलावा, यह भी खुलासा हुआ है कि साल 2022 में पाकिस्तानी हैंडलर्स ने तुर्की में सीरिया के एक आतंकी के साथ मुजम्मिल और उसके साथियों की मीटिंग भी करवाई थी।
‘व्हाइट कॉलर टेरर का नया मॉडल’
एनआईए (NIA) की जांच अब एक नए और खतरनाक ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉडल’ की ओर इशारा कर रही है। डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल अहमद राथर और मुफ्ती इरफान अहमद जैसे पढ़े-लिखे लोग इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। जांच में एक और नाम ‘मोहम्मद शाहिद फैसल’ (उर्फ कर्नल, लैपटॉप भाई) तेजी से उभरा है, जो 2020 से कर्नाटक और तमिलनाडु में मॉड्यूल को ऑनलाइन निर्देश दे रहा था। अब एजेंसियां इस बात की गहराई से जांच कर रही हैं कि क्या यूनिवर्सिटी का कोई और स्टाफ भी इस नेटवर्क में शामिल था।
‘जानें पूरा मामला’
यह मामला 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण कार ब्लास्ट से जुड़ा है। आतंकी उमर नबी ने अमोनियम नाइट्रेट से भरी कार को उड़ा दिया था, जिससे पूरा शहर दहल गया था। इस हमले में कम से कम 12 लोगों की जान गई थी और करीब 20 लोग घायल हुए थे। धमाके में खुद फिदायीन हमलावर उमर नबी भी मारा गया था। लेकिन उसकी मौत के बाद जब जांच आगे बढ़ी, तो डॉ. मुजम्मिल जैसे ‘स्लीपर सेल’ और विदेशी साजिश की परतें खुलनी शुरू हो गईं, जिसने अब एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेक्सस का रूप ले लिया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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डॉ. मुजम्मिल को विदेश से एनक्रिप्टेड ऐप्स के जरिए बम बनाने के 42 वीडियो भेजे गए थे।
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फरीदाबाद की यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के कमरों में बम बनाने की साजिश रची गई थी।
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मुजम्मिल के ठिकाने से 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है।
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ब्लास्ट के पीछे हंजुल्ला, निसार और उकासा जैसे विदेशी हैंडलर्स का हाथ सामने आया है।






