27 जनवरी (The News Air) – पांच साल में पंजाब के दस लाख युवाओं ने छोड़ा वतन, पढ़ने जाते हैं फिर लौटकर नहीं आते लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री के जवाब के अनुसार साल 2016 से फरवरी 2021 के बीच 9.84 लाख लोग पंजाब और चंडीगढ़ दूसरे देशों में चले गए हैं। इनमें करीब चार लाख छात्र और छह लाख से अधिक श्रमिक थे। पंजाब के घर और गांव वीरान हो रहे हैं, यहां का हर दूसरा युवा कनाडा जाकर ही नौकरी करना चाहता है, वहां जाने का क्रेज इतना है कि अक्सर जल्दबाजी में युवा ठगी का शिकार हो जाते हैं. हाल ही में कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी ने ऐसे 700 युवाओं को डिपोर्ट करने का नोटिस दिया है. इन युवाओं के वीजा दस्तावेज फर्जी निकले हैं. ये सभी 700 छात्र जालंघर की एक एजुकेशन माइग्रेशन वीजा कंपनी के जरिए कनाडा पहुंचे थे. इसके लिए इन छात्रों के परिवार वालों ने मोटी रकम भी चुकाई थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक इन छात्रों से कनाडा के एक कॉलेज में प्रवेश के नाम पर 16 से 20 लाख रुपये लिए गए थे. बाद में यह कहकर टरका दिया गया था कि सभी सीटें भर गई हैं, छह महीने बाद प्रवेश मिल जाएगा. इन छात्रों ने वहां डिप्लोमा कोर्सों में प्रवेश ले लिया, जब जांच हुई तो सभी के वीजा दस्तावेज फर्जी पाए गए.

कनाडा के 20 शहरों में हर चौथा शख्स पंजाबी
पंजाब से सबसे ज्यादा युवा कनाडा ही जाते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह कनाडा की उदार नीतियां हैं. यहां की नागरिकता लेना सबसे ज्यादा आसान है. कनाडा में कैलगरी ब्रैप्टन, वैंकोवर जैसे 20 से ज्यादा शहर ऐसे हैं जहां हर चौथा शख्स पंजाबी है. यहां के नागरिकता नियमों की बात करें तो कनाडा में पांच साल तक अप्रवासी के तौर पर रहने वाला शख्स वहां की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है, इस अवधि में उसे कम से कम तीन साल तक लगातार देश में रहना होगा.
पढ़ाई के साथ नौकरी का मौका
पंजाब से कनाडा जाने वाले युवाओं में सबसे ज्यादा वे छात्र होते हैं जो 12 वीं के बाद ही वहां जाना चाहते हैं. दरअसल विदेश में पढ़ाई कराना बहुत महंगा है. छात्रों के रहने-खाने, कॉलेज की फीस में ही अभिभावकों का तकरीबन 25 से 30 लाख रुपया हर साल खर्च होता है. कनाडा में जाने से फायदा ये है कि वहां पर छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ पार्टटाइम जॉब का ऑप्शन भी दिया जाता है. यह पार्टटाइम जॉब सप्ताह में 10 से 20 घंटे की होती है, जिससे छात्र इतना कमा लेते हैं कि वह अपना जेब खर्च निकाल सकें. इसके अलावा यहां नस्लीय भेदभाव जैसी समस्याएं भी नहीं हैं.
बच्चों को बाहर भेजना चाहते हैं 75% पैरेंट्स
पंजाब में विदेश जाने की चाहत रखने वाले 80% युवा कनाडा ही जाना चाहते हैं. ओवरसीज स्टडी की एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट की एक साल पहले जारी रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के 75% अभिभावक भी चाहते हैं कि उनके बच्चे विदेश में जाकर ही पढ़ें. इसका सबसे बड़ा कारण पंजाब में बढ़ रही बेरोजगारी और नशे की लत को माना गया है. ये पैरेंट्स मानते हैं कि यदि बच्चा पंजाब में रुका तो वह नशे की लत का शिकार हो सकता है.
उच्च शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर विदेश जा रहे छात्र
उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों के आंकड़े में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. लोकसभा में केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 2021 के मुकाबले 2022 में विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वालों की संख्या में 68% तक बढ़ोतरी हुई है. आंकड़े के मुताबिक 2021 में 4,44,553 छात्र विदेश पढ़ाई के लिए गए थे, जबकि 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 750,365 हो गया. इससे पहले 2017 में 4,54,009, 2018 में 517,998, 2019 में 586,337 छात्र विदेश पढ़ाई के लिए गए थे. 2020 में कोरोना की वजह से बाहर जाने वाले छात्रों के आंकड़ें में गिरावट आई थी, लेकिन उस साल भी तकरीबन 259,655 छात्र पढ़ाई के लिए विदेश गए थे.
विदेश में पढ़ाई: दूसरे नंबर पर पंजाब
पढ़ाई के लिए विदेश जाने की बात करें तो देश में पंजाब दूसरे नंबर पर है, इस मामले में सबसे आगे चंडीगढ़ है, जिसमें प्रति लाख आबादी पर तकरीबन 10150 लोग विदेश में है. पंजाब में प्रति लाख आबादी पर यह आंकड़ा 859 और दिल्ली में 825 है. यदि उस राज्य की बात करें जिससे सबसे कम युवा विदेश पलायन कर रहे हैं तो उनमें त्रिपुरा का नंबर सबसे पहले आता है, जहां प्रति लाख आबादी पर महज 11 युवा ही विदेश गए हैं. इसके बाद बिहार का नंबर है जहां ये आंकड़ा 13 हो जाता है.

पंजाबी युवाओं को विदेश जाने का क्रेज, कर्जे उठाकर भेज रहे घरवाले
पंजाबमें प्रेक्टिकल पढ़ाई का कोई बढिय़ा इंतजाम नहीं है। अगर किसी कोर्स को ढंग से किया जाए तो कम जानकारी के चलते जॉॅब की प्रॉब्लम आती है। इसलिए उच्च शिक्षा के लिए विदेशी यूनिवर्सिटियां ही बेहतर हैं। इसके बाद जॉॅब की भी गारंटी है। सरकारों के पास युवाओं के लिए कई योजना ही नहीं है, तो ऐसे में युवाओं का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। इसके बाद विदेश ही अल्टरनेटिव बचते हैं। रणवीरसिंह, रामेश कुमार रवीश, आइलेट्स स्टूडेंट्स।
3 सालों का कनाडा का डिग्री का खर्चा 35 लाख से अधिक
कनाडामें पहले डिप्लोमा कोर्सों पर 2 से 3 साल में 12 से 18 लाख रुपए का खर्चा होता था। अब परमानेंट रेजिडेंस (पीआर) के लिए डिग्री की पढ़ाई जरूरी होने से डिग्री का तीन साल का खर्चा 35 लाख रुपए से अधिक हो जाता है। ज्यादातर स्टूडेंट्स +2 के बाद विदेश जाना चाहते हैं तो आप के बच्चे के मन में भी ऐसा आना स्वभाविक है। हम मिडल स्टैंडर्ड के लोग अपना घर बार बेचकर ही ऐसा कर पाते हैं। तीन साल की कठिनाई के बाद जब बच्चा कनाडा पक्का हो जाता है तो दो फैमलियों के लिए कनाडा का रास्ता खुल जाता है। इसलिए लोग अच्छे भविष्य के लिए कठिनाइयां झेल रहे हैं। रमिंदरसिंह, अभिभावक किसान गांव घल्लकलां।
पंजाब में युवाओं को दी जा रही बहुत सी सहूलियतें
पंजाबसरकार ने युवाओं के लिए बहुत सी योजनाएं शुरू की है। बहुत सी नई यूनिवर्सिटियों को शुरू किया है। प्रेक्टिकल कोर्सों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बाबू किस्म के युवा पैदा किए जाएं बल्कि तकनीकी कामें पैदा किए जा सकें। अब तो पंजाब सरकार ने सरकारी नौकरियों में खिलाडिय़ों का भी अलग से कोटा रख लिया है। जत्थेदारतोता सिंह, कृषि एवं एनआरआई मंत्री पंजाब।
युवा बोले- यहां उनके सपनों को नहीं मिलते पंख
12वींकरने के बाद इंजीनियरिंग का इरादा था। लेकिन यहां सपनों को पंख नहीं मिलते। इसलिए कनाडा जाकर इंजीनियरिंग करने का इरादा है। आइलेट्स कर रहा हूं, अगर 7+ बैंड जाते हैं तो वहां जाकर पढ़ने का सपना साकार हो सकता है। विदेशों में करियर की संभावनाएं बेहतर है।
विदेश जाने की ललक गलत नहीं
विदेश जाने की ललक कोई गलत बात नहीं, क्योंकि सपनों की दुनिया है कनाडा। हमें कनाडा पढ़ने ही नहीं बल्कि बसने जाना है। वहां जो सहूलियतें नागरिकों को मिलती है, हमारी सरकारें सोच भी नहीं सकती। हम लड़कियां आसानी से 7+ बैंड ले जाती हैं। स्पाउस भी साथ जा सकते हैं। इसलिए पढ़ाई से मन चुराने वाले लड़के स्पाउस के तौर पर जाना चाहते हैं। उच्च शिक्षा विदेशी युनिवर्सिटियों में ही हो सकती है। वहां पढ़ाई का जो स्टाइल मॉड्यूल है, यहां हो नहीं सकता। कीर्ति,महक, राजवीर कौर, आइलेट्स स्टूडेंट्स। पंजाबी युवाओं में विदेश जाने के क्रेज के चलते माता-पिता जायदाद बेच या कर्जा उठाकर लाडलों को विदेश भेज रहे हैं। मोगा में भी करीब 70 आइलेट्स सेंटर हैं, जहां आइलेट्स, टाफल, पीटीई जैसे कोर्स कराए जा रहे हैं। इनमें करीब 7000 युवा कोचिंग करने को आते हैं। पंजाब के युवाओं पर विदेश में जाकर पढ़ने का जुनून सवार है। पंजाब से हर साल एक लाख से ज्यादा युवा अपना वतन छोड़ कनाडा, आस्ट्रेलिया और यूके के विभिन्न संस्थानों में पढ़ने के लिए चले जाते हैं। वर्तमान में यहां के कॉलेजों में 1.5 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
पलायन की वजहें
नशे की समस्या का खत्म न होना, इंडस्ट्री और आईटी क्षेत्र न होने से रोजगार की कमी, रोजगार है तो तनख्वाह कम और काम के घंटे ज्यादा, कई सरकारी नौकरियों में प्रारंभिक वेतन का कम होना, प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, विदेश में आबाद रिश्तेदारों से प्रभावित होकर, विदेशों की लुभावनी नीतियां ।
पंजाब से लोगों को बाहर ले जाने में कनाडा और यूके की लुभावनी नीतियां भी काफी जिम्मेदार हैं। कनाडा से डिप्लोमा के बाद तीन साल का वर्क परमिट है और प्रति सप्ताह 40 घंटे काम करने की अनुमति भी मिलती है। वहीं, स्टूडेंट को 20 घंटे प्रति सप्ताह। यूके की अकादमिक डिग्रियां काफी उच्च गुणवत्ता वाली मानी जाती हैं। यूके में भी अध्ययन करने के साथ भारतीय छात्रों के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप उपलब्ध है। यूके में जीवनसाथी को वीजा दिया जा रहा है। आस्ट्रेलिया में भी मेहनताना अच्छा मिलता है। वहां भी घंटों के हिसाब से भुगतान होता है।
वीजा सेंटर संचालक क्या कहते हैं
ज्यादातर अभिभावक पंजाब के हालात को देखकर चिंतित होते हैं। मेरे पास काउंसलिंग के लिए जो अभिभावक व स्टूडेंट आते हैं, उनसे बातचीत में यही सामने आया है कि वे पंजाब में नशे की समस्या से काफी चिंतित हैं। – सुकांत, संचालक स्टडी वीजा सेंटर, जालंधर पंजाब में हर साल आइलेट्स की परीक्षा पर 500 करोड़ की राशि खर्च की जाती है। सूबे में हर साल 3.5 लाख युवा आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) की परीक्षा देते हैं। एग्जाम फीस 210 से 225 डॉलर (15 हजार रुपये) हैं। पंजाब में आईटी इंडस्ट्री भी नहीं है।
अब लोगों की सोच बदल गई है। वह कम समय में ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं। पंजाब के लोग भी अब यह सुनना नहीं चाहते है कि उनके घर से कोई बाहर नहीं गया। इन सब कारणों की वजह से लोग पंजाब से पलायन करना चाहते हैं। – हरिंदर चंढोक, संचालक आईलेट्स कोचिंग
बेरोजगारी की दर में पड़ोसी राज्यों से पंजाब का प्रदर्शन
राज्य बेरोजगारी दर
पंजाब 8.2
राजस्थान 28.3
हरियाणा 29.4
हिमाचल 13.9
विदेशों में अध्ययन के लिए भारतीय छात्रों ने लिया पढ़ाई के लिए ऋण
साल छात्र लोन राशि
2012-13 20366 1180 करोड़
2019-20 62947 5885 करोड़
2020-21 51784 4503 करोड़ *
2021-22 69898 7576 करोड़

पंजाब सरकार के प्रयास
पंजाब सरकार ने हाल ही में नई औद्योगिक एवं व्यापार विकास नीति-2022 को मंजूरी दी है। इसके तहत पंजाब के मूल निवासियों को रोजगार देने वाले उद्योगों को पंजाब सरकार सब्सिडी देगी। मुख्य इकाइयों को 5 साल की अवधि के लिए प्रति कर्मचारी 36000 रुपये सालाना और महिला एससी, बीसी व ओबीसी कर्मचारियों के लिए 48000 रुपये सालाना तक रोजगार उत्पत्ति सब्सिडी प्रदान की जाएगी।पंजाब सरकार का दावा है कि दस महीने में 20 हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी हैं। नौ हजार संविदा कर्मचारियों को पक्की नौकरी दी है। स्कूली शिक्षा सुधारने के लिए सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को ट्रेनिंग के लिए सिंगापुर भेजा गया है। अब तक दो बैच जा चुके हैं। वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार 2020-21 के लिए स्कूली शिक्षा में पंजाब टॉप पर रहा है।







