चंडीगढ़, 5 नवंबर (The News Air) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज घोषणा की कि राज्य सरकार पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ की सीनेट और सिंडिकेट को गैर-कानूनी तरीके से भंग करने के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन के खिलाफ हाई कोर्ट जाएगी।
इस कदम को स्थापित नियमों की गंभीर उल्लंघना करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में से एक — पंजाब विश्वविद्यालय — के लोकतांत्रिक और स्वायत्त अस्तित्व पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का प्रतीक है और पंजाब के शैक्षणिक एवं बौद्धिक विकास में सदैव अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सीनेट और सिंडिकेट जैसी इसकी प्रतिनिधिक संस्थाओं को कमजोर करने का कोई भी प्रयास न केवल अकादमिक समुदाय की, बल्कि पंजाब के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं की भी अनदेखी है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पंजाब सरकार इस असंवैधानिक नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए देश के वरिष्ठ और अनुभवी वकीलों की एक उच्च स्तरीय कानूनी टीम का गठन करेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि पंजाब विश्वविद्यालय पर पंजाब के अधिकारों की रक्षा करना राज्य सरकार की संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि आने वाले सत्र में पंजाब विधानसभा में इस मुद्दे को प्रभावशाली ढंग से उठाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य का पक्ष कानूनी और संवैधानिक रूप से मज़बूत हो।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि पंजाब सरकार पंजाब विश्वविद्यालय के कार्यों में अपने अधिकार, हिस्सेदारी या भागीदारी को किसी भी प्रकार से कम होने नहीं देगी। शैक्षणिक संस्थाओं की स्वायत्तता और प्रतिष्ठा के प्रति अपनी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ऐसे मनमाने निर्णयों के विरोध में राज्य के लोगों के साथ मज़बूती से खड़ी है।
भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि राज्य सरकार संघवाद की भावना और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मामले में सत्य और संवैधानिक प्रामाणिकता की जीत होगी तथा पंजाब विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पहचान और अखंडता को हर हाल में बरकरार रखा जाएगा।






