पंजाब में भाजपा का सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान, अकाली भी रह गया खाली

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भाजपा

चंडीगढ़, 26 मार्च (The News Air) पंजाब में भाजपा को गठबंधन के लिए कोई सहयोगी नहीं मिल पाया है। अब तक भाजपा की ओर से अकाली दल को साथ लाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई। भाजपा के पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मंगलवार को वीडियो संदेश जारी कर इसका ऐलान किया। जाखड़ ने कहा, ‘भाजपा पंजाब में अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने लोगों, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का फीडबैक लेने के बाद यह फैसला लिया है।’अब भाजपा ने सभी 13 लोकसभा सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है।

अकाली दल को लगता है कि ऐसी स्थिति में भाजपा के साथ जाने से उससे पंथिक सिख नाराज हो सकते हैं। वहीं भाजपा का ध्यान हिंदू वोटों पर है। खासतौर पर लुधियाना, जालंधर, गुरदासपुर और अमृतसर जैसे शहरों में भाजपा अपने लिए अकेले ही संभावनाएं देखती है।
अकाली दल ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उसमें भी मांग उठाई गई है कि सभी सिख बंदियों को रिहा किया जाए, जिनकी सजा पूरी हो गई है। इसके अलावा किसानों से किए वादों को सरकार पूरा करे। सुखबीर बादल की पार्टी ने कहा, ‘हमारी पार्टी हमेशा राजनीति से ऊपर सिद्धांतों को रखती है। हम अपनी भूमिका से कभी भटकेंगे नहीं। खालसा पंथ, सभी अल्पसंख्यकों और पंजाबियों के लिए हम संघर्ष करते रहेंगे।’ दोनों ही दल मान रहे हैं कि अकेले लड़ने में भी उनका कोई घाटा नहीं है। इस तरह पंजाब में आप, कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होगा।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पंजाब के हित के लिए अथक प्रयास किए हैं और उसके काम किसी से भी छिपे नहीं हैं। ओडिशा के बाद यह दूसरा राज्य है, जहां भाजपा का गठबंधन नहीं हो सका है। इससे पहले ओडिशा में बीजेडी को साथ लाने की कोशिश हुई थी, जिस पर सफलता नहीं मिल पाई। अब वहां भी भाजपा ने राज्य की सभी 21 लोकसभा सीटों पर कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया है। भाजपा से पहले ही शुक्रवार को अकाली दल ने भी अकेले लड़ने का संकेत दिया था। शुक्रवार को अकाली दल की कोर कमेटी की मीटिंग थी, जिसमें अकेले लड़ने पर ही सहमति बनी।

माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के चलते पंजाब में एक माहौल बना हुआ है। ऐसे में अकाली दल भाजपा के साथ आने के पक्ष में नहीं है। इसके अलावा दोनों दलों के बीच अब वैचारिक खाई भी बढ़ रही है। एक तरफ अकाली दल सिख समुदाय के लोगों को लुभाने की कोशिश में है। उसका बड़ा आधार भी पंथिक सिख ही रहे हैं। अकाली दल से अलग भाजपा राष्ट्रवादी विचारधारा पर अडिग रही है। बीते कुछ सालों में पंजाब में किसान आंदोलन मुखर हुआ है। उस पर खालिस्तानी समर्थन के आरोप भी लगे हैं और इसके चलते भाजपा को लेकर एक वर्ग का गुस्सा भी बढ़ा है।

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