EPFO EDLI Scheme Update: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक बेहद राहत भरी खबर सामने आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी कर उस तकनीकी पेंच को खत्म कर दिया है, जिसकी वजह से अक्सर कर्मचारियों के परिवार लाखों रुपये के बीमा क्लेम से वंचित रह जाते थे। 17 दिसंबर 2025 को जारी एक सर्कुलर के जरिए ईपीएफओ ने नौकरी बदलने के दौरान आने वाली छुट्टियों को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है।
वीकेंड की छुट्टी अब नहीं बनेगी रोड़ा
अक्सर देखा जाता है कि जब कोई कर्मचारी एक कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी जॉइन करता है, तो बीच में शनिवार-रविवार (वीकेंड) या कोई सरकारी छुट्टी आ जाती है। अब तक कई मामलों में इन छुट्टियों को ‘सर्विस में ब्रेक’ (Break in Service) मान लिया जाता था। इसका सीधा नुकसान यह होता था कि कर्मचारी के निधन की स्थिति में उसके परिवार का EDLI (Employees’ Deposit Linked Insurance) क्लेम या तो खारिज हो जाता था या उन्हें कम पैसा मिलता था। ईपीएफओ ने अब साफ कर दिया है कि दो नौकरियों के बीच आने वाले वीकेंड और घोषित छुट्टियों को सर्विस ब्रेक नहीं माना जाएगा।
12 महीने की सर्विस का नियम और भ्रम
ईपीएफओ के संज्ञान में ऐसे मामले आए थे जहां एक कंपनी से निकलने और दूसरी में शामिल होने के बीच की तारीखों में अगर शनिवार या रविवार पड़ गया, तो उसे सर्विस गैप मान लिया गया। इसके चलते, भले ही कर्मचारी ने कुल मिलाकर 12 महीने से ज्यादा की लगातार नौकरी पूरी कर ली हो, उसे EDLI बेनिफिट्स नहीं दिए जाते थे। ईपीएफओ के नए स्पष्टीकरण ने इस भ्रम को दूर कर दिया है। अब यह माना जाएगा कि कर्मचारी लगातार सेवा में था।
60 दिनों का गैप भी मान्य
संगठन ने कर्मचारियों के हित में एक और बड़ी बात कही है। यदि किसी ईपीएफ सदस्य ने अलग-अलग ईपीएफ कवर वाली कंपनियों में काम किया है, तो उनकी नौकरी को ‘लगातार सर्विस’ (Continuous Service) ही माना जाएगा, भले ही दो नौकरियों के बीच 60 दिनों तक का अंतर क्यों न हो। यह नियम उन लोगों के लिए संजीवनी है जो नौकरी छूटने के कुछ दिन बाद नई जगह जॉइन करते हैं।
आम आदमी के जीवन पर असर
यह फैसला सीधे तौर पर उन परिवारों को सुरक्षा देता है, जिनके कमाने वाले सदस्य की नौकरी के दौरान मृत्यु हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल एक तकनीकी गणना या छुट्टी की वजह से किसी विधवा या अनाथ बच्चों को उनके हक के 7 लाख रुपये (अधिकतम सीमा) मिलने में कोई बाधा न आए। यह क्लेम सेटलमेंट को तेज और पारदर्शी बनाएगा।
जानें पूरा मामला
EDLI स्कीम ईपीएफ सदस्यों के लिए एक ‘एम्प्लॉयर फंडेड’ (नियोक्ता द्वारा पोषित) लाइफ इंश्योरेंस प्लान है। इसमें कर्मचारी को अपनी जेब से कोई योगदान नहीं देना होता। अगर सर्विस के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके नॉमिनी या परिवार को एकमुश्त भुगतान मिलता है, जो लगभग 7 लाख रुपये तक हो सकता है। यह रकम कर्मचारी की औसत सैलरी और ईपीएफ बैलेंस के आधार पर तय की जाती है। ईपीएफओ का मकसद दावों का जल्द से जल्द निपटारा करना है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दो नौकरियों के बीच के वीकेंड और छुट्टियों को अब सर्विस ब्रेक नहीं माना जाएगा।
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17 दिसंबर 2025 को ईपीएफओ ने सर्कुलर जारी कर नियमों में स्पष्टीकरण दिया।
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दो नौकरियों के बीच 60 दिनों तक का गैप होने पर भी सर्विस लगातार मानी जाएगी।
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EDLI स्कीम के तहत नॉमिनी को बिना कर्मचारी के योगदान के 7 लाख तक का बीमा मिलता है।






