G20 Integrity: वैश्विक ध्रुवीकरण (Global Polarization) के इस दौर में, जी20 (G20) समूह की अखंडता बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है। इसी दिशा में भारत और चीन ने संयुक्त प्रयास शुरू किए हैं। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) और उनके चीनी समकक्ष वांग यी (Wang Yi) के बीच इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई।
जयशंकर ने इस दौरान कहा कि वर्तमान में वैश्विक ध्रुवीकरण के माहौल में, भारत और चीन ने मिलकर जी20 को एक मजबूत संस्था के रूप में बनाए रखने की पूरी कोशिश की है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को दर्शाता है। दक्षिण अफ्रीका 2025 में जी20 की मेजबानी कर रहा है और यह बैठक इस आयोजन की शुरुआत मानी जा रही है।
ब्रिक्स और वैश्विक स्थिति पर चर्चा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ब्रिक्स (BRICS) समूह पर दिए गए विवादास्पद बयानों के बीच, भारत ने जी20 की एकता को प्राथमिकता दी है। चीन ने भी इस रुख का समर्थन करते हुए भारत के साथ कदम से कदम मिलाने की बात कही है।
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, पिछले साल रूस (Russia) के कजान (Kazan) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के बीच हुई बैठक के बाद, दोनों देशों के बीच संवाद के रास्ते दोबारा खुल गए हैं।
सीमा विवाद पर भी बनी सहमति
भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने पर सहमति बनी है। वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) इस प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे हैं। दिसंबर 2024 में हुई बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और आपसी विश्वास को फिर से स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का फैसला लिया।
आर्थिक सहयोग को नई दिशा
जयशंकर ने यह भी कहा कि जी20, एससीओ (SCO) और ब्रिक्स जैसे मंचों ने भारत और चीन को अपने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान किया है। इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही दोनों देशों के संबंधों में चुनौतियां रही हों, लेकिन इन बैठकों ने आपसी संवाद का रास्ता हमेशा खुला रखा है।
आगे की राह
वांग यी ने इस दौरान भारत-चीन रिश्तों को सुधारने के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना की। उनका मानना है कि यह दोनों देशों की जनता की उम्मीदों के अनुरूप है कि आपसी विश्वास को फिर से बहाल किया जाए। इस बैठक से यह साफ है कि भारत और चीन, जी20 जैसे मंचों पर मिलकर वैश्विक स्थिरता के लिए एक मजबूत संदेश देना चाहते हैं।