The News Air- (नई दिल्ली) पंजाब में चुनाव की तारीख़ों के ऐलान होते ही भाजपा ने सक्रियता बढ़ा दी है। मंगलवार को सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और अकाली दल को फिर बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के पूर्व विधायक और बिजनेसमैन अरविंद खन्ना भाजपा में शामिल हो गए। खन्ना कैप्टन के ख़ास रिश्तेदार हैं। चर्चा थी कि खन्ना को 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिरोजपुर में होने वाली रैली में बीजेपी की सदस्यता लेनी थी। मगर, कार्यक्रम रद्द होने से बीजेपी में एंट्री नहीं हो पाई थी। इसके अलावा, यूथ अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष गुरदीप सिंह गोशा ने भाजपा जॉइन कर ली है। इससे पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया था। अमृतसर से पूर्व पार्षद धर्मवीर सरीन, पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष कंवर सिंह टोड़ा का नाम भी शामिल है।
हालांकि, पहले अरविंद खन्ना के कभी अकाली दल तो कभी कांग्रेस में ही वापसी की चर्चा थी, लेकिन अब क़यासों को ख़त्म कर वह भाजपा में शामिल हो गए। संभावना है कि वह संगरूर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। खन्ना पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बुआ के बेटे हैं। इससे पहले कांग्रेस के विधायक फ़तेह ज़ंग सिंह बाजवा ने भी कांग्रेस को अलविदा कहा है।
जानें अरविंद खन्ना के बारे में…
दिल्ली के बड़े व्यापारी अरविंद खन्ना ने साल 1998 में संगरूर में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा के ज़रिए अकाली दल में एंट्री की थी। 2000 में कैप्टन अमरिंदर सिंह से रिश्तेदारी और नज़दीकियों के चलते कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह 2002 में संगरूर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते। 2004 में खन्ना कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतरे, लेकिन हार गए थे। 2007 में घरेलू कारणों के चलते विधानसभा चुनाव में सामने नहीं आए। साल 2012 में फिर राजनीति में एक्टिव हुए और धूरी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते।
2022 में फिर एक्टिव हुए खन्ना
हालांकि, इस बीच अरविंद खन्ना ने घरेलू समस्याओं के चलते विधायक पद से इस्तीफ़ा दिया और राजनीति से दूरी बना ली। मौजूदा 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से अरविंद खन्ना राजनीति में सक्रिय हो गए हैं और भाजपा में एंट्री ले ली है।
गोशा बोला- समाज की सेवा करते रहेंगे
भाजपा में शामिल होने से पहले गुरदीप सिंह गोशा ने कहा कि उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई है। शिअद और समाज की सेवा पूरे तन, मन, धन और खून-पसीने से करते रहे हैं। कुछ कारणों के चलते इस्तीफ़ा दे दिया। वह समाज के प्रति अपनी सेवाएं देते रहेंगे।