Bangladesh Political Crisis and Hindu Attacks : ढाका से आ रही खबरें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। बांग्लादेश अब धीरे-धीरे एक कट्टरपंथी राष्ट्र में तब्दील हो रहा है, जहां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पानी की तरह पैसा बहा रही है और हिंदुओं का जीना मुहाल कर दिया गया है।
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। वहां की जमीन अब भारत विरोधी साजिशों और कट्टरपंथ का नया गढ़ बन चुकी है। ढाका में बैठे वरिष्ठ पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने जो खुलासे किए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। उनके मुताबिक, बांग्लादेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। ढाका में ISI के पांच दफ्तर चल रहे हैं, जिसमें ‘ढाका स्टेशन’ नाम का ऑफिस हर महीने करीब 20 करोड़ टका (बांग्लादेशी मुद्रा) सिर्फ भारत के खिलाफ साजिश रचने और लोगों को भड़काने के लिए बांट रहा है।
भारतीय उच्चायोग पर हमले की साजिश
कट्टरपंथी ताकतें अब सीधे तौर पर भारत के राजनयिक ठिकानों को निशाना बना रही हैं। इसी महीने की 18 तारीख को जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम और अलकायदा से जुड़े संगठनों के एक हिंसक समूह ने ढाका में भारतीय उच्चायोग पर हमला करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने रोक दिया। लेकिन उसी रात, इस भीड़ ने चटगांव (Chittagong) में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पथराव किया। यह हमला तब हुआ जब देश में यूनुस सरकार के एक छात्र उस्मान हादी की मौत की खबर फैली। सरकार की तरफ से शांति की अपील के महज 15 मिनट बाद ही हिंसा का तांडव शुरू हो गया।
हिंदुओं का कत्लेआम और झूठे आरोप
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की स्थिति दयनीय हो गई है। मैमनसिंह जिले के बालुका इलाके में दीपू चंद्र राय नाम के एक हिंदू युवक की बर्बरता से हत्या कर दी गई। उस पर धर्म की अवमानना का झूठा आरोप लगाया गया था। भीड़ ने उसे पीटा और फिर जिंदा जला दिया। बाद में रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने पुष्टि की कि दीपू निर्दोष था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हत्या में शामिल 100 से ज्यादा लोगों में से केवल कुछ को दिखावे के लिए पकड़ा गया, जिन्हें रिमांड पर भी नहीं लिया गया।
‘जय मां दुर्गा’ कहने पर रिक्शेवाले की पिटाई
नफरत का आलम यह है कि गोपाल (गोविंद) नाम का एक रिक्शा चालक, जो हाथ में कलावा बांधे हुए था, सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने रिक्शा चलाते वक्त “जय मां दुर्गा” कह दिया। सवारी ने उसे तुरंत ‘रॉ’ (RAW) का एजेंट बताकर भीड़ के हवाले कर दिया। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उसकी जान बचाई। शोएब चौधरी बताते हैं कि बांग्लादेश में अगर कोई हिंदू है, तो उसे बिना सबूत के भारत का जासूस या एजेंट मान लिया जाता है। 1947 में जहां 40% हिंदू थे, अब वे घटकर मात्र 8% रह गए हैं।
सेना की लाचारी और आतंकी कैंप
सबसे डराने वाली बात वहां की सेना और प्रशासन का रवैया है। जब दंगाइयों ने मीडिया हाउस पर हमला किया, तो वहां तैनात सेना के जवान हाथ जोड़कर दंगाइयों से 20 मिनट की मोहलत मांगते नजर आए। जो सेना अपने देश में उपद्रवियों के सामने बेबस है, वह विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा कैसे करेगी, इस पर बड़ा सवाल है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में भारत के बॉर्डर (त्रिपुरा और मिजोरम) के पास पाकिस्तान के 8 आतंकी संगठनों के कैंप बन रहे हैं। यहां तक कि प्रतिबंधित संगठन उल्फा (ULFA) का नेता परेश बरुआ ढाका के महाखाली DOHS इलाके में खुलेआम रह रहा है।
विश्लेषण: भारत के लिए खतरे की घंटी
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह केवल आंतरिक कलह नहीं है, बल्कि बांग्लादेश को सुनियोजित तरीके से ‘दूसरा पाकिस्तान’ बनाने की साजिश है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की चुप्पी और उपद्रवियों को मिल रही खुली छूट यह इशारा करती है कि वे बांग्लादेश को ‘गाजा’ जैसी स्थिति में धकेलना चाहते हैं ताकि भारत के साथ युद्ध जैसे हालात बनें। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की मौजूदगी और 26 जनवरी को कोलकाता में हमले की साजिश की खुफिया जानकारी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक ‘वेक-अप कॉल’ है।
आम आदमी पर असर
बांग्लादेश की यह अस्थिरता सीधे तौर पर भारतीय सीमावर्ती राज्यों के आम नागरिकों को प्रभावित करेगी। घुसपैठ, तस्करी और सुरक्षा का खतरा बढ़ेगा। वहीं, बांग्लादेश में रह रहे लाखों हिंदुओं के लिए हर दिन मौत के साये में गुजर रहा है, जिसका असर भारत की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर भी पड़ सकता है।
जानें पूरा मामला
शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से बांग्लादेश में अंतरिम सरकार है, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। इसके बाद से ही वहां कानून व्यवस्था चरमरा गई है। कट्टरपंथी इस्लामी समूह हावी हो गए हैं और वे बंगाली संस्कृति और हिंदू प्रतीकों को नष्ट कर देश को शरिया कानून की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
-
ढाका में ISI के 5 दफ्तर सक्रिय हैं जो भारत विरोधी गतिविधियों को फंड कर रहे हैं।
-
चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के घर पर कट्टरपंथी भीड़ ने हमला किया।
-
हिंदू युवक दीपू चंद्र राय को झूठे आरोप में जलाकर मार डाला गया।
-
26 जनवरी को कोलकाता में लश्कर-ए-तैयबा के हमले की साजिश का खुलासा हुआ है।






