Aligarh Dog Attack News : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इंसानियत को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है, जहां एक आवारा कुत्ते के काटने के महज 14 घंटे बाद ही एक 23 वर्षीय युवक की हालत इतनी भयानक हो गई कि वह जानवरों जैसा व्यवहार करने लगा। युवक ने न केवल अपनी जीभ बाहर निकालकर कुत्तों की तरह हांफना शुरू कर दिया, बल्कि अपने ही परिवार वालों को काटने के लिए दौड़ पड़ा, जिससे पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया।
मामूली घाव समझकर की लापरवाही
अलीगढ़ के एक गांव में रहने वाला 23 साल का रामकुमार उर्फ रामू अपनी गली में घूम रहा था, तभी एक आवारा कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। शुरुआत में कुत्ते के काटने का घाव बहुत हल्का लग रहा था, जिसे देखते हुए रामू ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उसने घर आकर घाव को साबुन और पानी से धोया और सोचा कि वह अगले दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) जाकर एंटी-रेबीज का इंजेक्शन लगवा लेगा। लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था। इंजेक्शन लगवाने से पहले ही जहर उसके शरीर में अपना असर दिखा चुका था।
14 घंटे बाद बदला व्यवहार
घटना के अगले दिन दोपहर करीब 2:00 बजे, यानी काटने के लगभग 14 घंटे बाद, रामू की तबीयत अचानक बिगड़ गई। वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगा। प्रत्यक्षदर्शियों और परिजनों के मुताबिक, रामू जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगा। उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और किसी जानवर की तरह जोर-जोर से हांफना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, जब घरवाले उसे संभालने आए, तो वह उन्हें भी काटने के लिए लपका। यह मंजर देखकर गांव वाले सिहर उठे। अनहोनी के डर से ग्रामीणों ने उसे काबू में किया और रस्सियों से चारपाई पर बांध दिया।
अस्पतालों के चक्कर और डॉक्टर की चेतावनी
आनन-फानन में परिजन रामू को खैर सीएचसी लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने स्थिति को बेहद गंभीर मानते हुए उसे तुरंत दिल्ली के ‘महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल’ रेफर कर दिया। रास्ते में हालत बिगड़ती देख परिजन उसे खुर्जा मेडिकल सेंटर ले गए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ। देर रात उसे वापस घर लाया गया, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है और उसे दिल्ली ले जाने की तैयारी चल रही है। डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि आमतौर पर रेबीज के लक्षण 10-14 दिन में दिखते हैं, लेकिन अगर कुत्ता पागल या अत्यधिक संक्रमित हो, तो लक्षण 24 घंटे के भीतर भी आ सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार का विश्लेषण (Analysis)
यह घटना केवल एक मेडिकल केस नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य जागरूकता की कमी का एक बड़ा उदाहरण है। कुत्ते के काटने को ‘हल्का घाव’ समझकर अगले दिन पर टालना ही रामू के लिए जानलेवा साबित हुआ। मेडिकल साइंस में कुत्ते के काटने के बाद के पहले 24 घंटे ‘गोल्डन आवर्स’ माने जाते हैं। यदि काटने वाला जानवर रेबीज से संक्रमित है, तो साबुन से धोना पर्याप्त नहीं है; तत्काल वैक्सीनेशन ही एकमात्र सुरक्षा कवच है। यह मामला प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है कि आवारा कुत्तों का आतंक अब केवल काटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक भयानक महामारी का रूप ले रहा है जिसे नियंत्रित करना अब अनिवार्य हो गया है।
जानें पूरा मामला
रामू एक गरीब मजदूर परिवार से ताल्लुक रखता है और उसके पिता ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वे डरे हुए हैं। जिस कुत्ते ने रामू को काटा, वह अभी भी गांव में खुलेआम घूम रहा है, जिससे अन्य ग्रामीणों और बच्चों पर खतरा मंडरा रहा है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने पर तुरंत एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए, चाहे घाव कितना भी छोटा क्यों न हो।
मुख्य बातें (Key Points)
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अलीगढ़ में कुत्ते के काटने के 14 घंटे बाद युवक में दिखे रेबीज के गंभीर लक्षण।
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युवक जीभ निकालकर हांफने लगा और लोगों को काटने दौड़ा, चारपाई से बांधा गया।
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डॉक्टर के मुताबिक, पागल जानवर के काटने पर 24 घंटे में भी संक्रमण फैल सकता है।
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खुर्जा में इलाज के बाद हालत स्थिर, लेकिन दिल्ली ले जाने की तैयारी जारी।






