अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया और ब्रिटेन ने चीन को दिखाई आंखें, आसमान में दहाड़ रहे लड़ाकू विमान

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America Red Flag Drills
America Red Flag Drills

America Red Flag Drills: एक तरफ चीन ने दुनिया के कई देशों की नाक में दम कर रखा है दूसरी ओर अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने ड्रैगन को आंखें दिखाई हैं. तीनों देशों ने बुधवार (8 फरवरी) को नेवादा रेगिस्तान में ज्वाइंट एयर ड्रिल की. इस ड्रिल से इन देशों ने कहीं न कहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की है. इससे पहले, शनिवार (4 फरवरी) को अमेरिका के एक लड़ाकू विमान ने दक्षिण कैरोलिना के तट से एक संदिग्ध चीनी ‘जासूसी गुब्बारे’ को मार गिराया था. 

ज्वाइंट ड्रिल को लेकर अमेरिकी वायुसेना अधिकारियों ने जानकारी दी. रेड फ्लैग चलाने वाले 414वें कॉम्बैट ट्रेनिंग स्क्वाड्रन के कमांडर और अमेरिकी वायुसेना के कर्नल जेरेड जे. हचिंसन के अनुसार, ये सैन्य अभ्यास हाल की किसी भी घटना को ध्यान में रखकर नहीं किया गया.

क्यों की गई ड्रिल?

रॉयटर्स ने हचिंसन के हवाले से कहा, ‘(चीन) बस तेज गति की चुनौती है, जिसके लिए हम तैयार हैं, हमें लगता है कि अगर हम चीन के लिए तैयार हैं, तो हम किसी के लिए भी तैयार हैं.’ एयर मोबिलिटी फोर्स के कमांडर एयर कमोडोर जॉन लायल ने रायटर को बताया कि रेड फ्लैग अभ्यास (Red Flag Drills) के दौरान मिशन वायुसेना को ‘एक ऐसे क्षेत्र में लाने के लिए था, जहां किसी दूसरे देश ने कब्जा जमाया हुआ है.’

लायल ने चीन का नाम लिए बिना कहा, ‘…इसलिए हमारी भूमिका उस क्षेत्र में प्रभावी ढंग से आगे बढ़ने के लिए फोर्स को सपार्ट करने की है. इसी के साथ हमें उन क्षेत्रों पर हमला करना होगा, जहां दुश्मन धाक जमाकर बैठा है.’ बता दें कि ब्रिटेन ने वायुसेना के अभ्यास में यूरोफाइटर टाइफून लड़ाकू जेट भी उड़ाए. रेड फ्लैग ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने इस विशेष ड्रिल में EA-18G ग्रोल्डर विमान का योगदान दिया.

अमेरिका और चीन के संबंध

हाल के सालों में पेंटागन ने स्व-शासित ताइवान पर बीजिंग के दबाव के बारे में बढ़ती चिंता व्यक्त की है. अमेरिकी सरकार ने चीन को अमेरिकी सेना की सर्वोच्च रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में चिन्हित किया है. इसी के साथ यूक्रेन में आक्रमण करने वाली रूसी सेना को भी खदेड़ने के लिए अमेरिका ने अरबों डॉलर खर्च किए हैं.

वॉशिंगटन में पिछले हफ्ते यूएस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक विलियम बर्न्स ने भी चेतावनी दी थी कि अमेरिका को ‘खुफिया जानकारी के रूप में’ पता था कि शी ने अपनी सेना को 2027 तक स्व-शासित ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया था.

‘ताइवान को लेकर चीन गंभीर है’

बर्न्स ने जॉजटाउन विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में कहा, ‘अब, इसका मतलब यह नहीं है कि चीन ने 2027, या किसी अन्य वर्ष में आक्रमण करने का फैसला किया है, बल्कि इससे पता चलता है कि ताइवान को लेकर चीन कितना गंभीर और महत्वकांक्षी है.’

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