Al Falah University Crisis. हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल फला यूनिवर्सिटी के सैकड़ों छात्र इस समय अनिश्चितता और गहरे डर के साये में जी रहे हैं। छात्रों का भविष्य इसलिए दांव पर लग गया है क्योंकि उनके प्रोफेसर उमर उन नबी ने कथित तौर पर दिल्ली में ब्लास्ट किया था। इसके साथ ही, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक और वित्तीय सिस्टम में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है।
यह डबल संकट यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है।
’90 लाख दांव पर, एमबीबीएस छात्रों का भविष्य अधर में’
यूनिवर्सिटी के एक चौथे वर्ष के एमबीबीएस छात्र ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई में बहुत पैसा लगाया है। अब हर दिन यह डर सताता है कि उनका भविष्य खतरे में न पड़ जाए।
एमबीबीएस के 5 साल के कोर्स के दौरान एक छात्र लगभग ₹90 लाख खर्च करता है। कश्मीरी और अन्य राज्यों के छात्र इस समय भारी मानसिक दबाव में हैं, क्योंकि यह केवल करियर का नहीं, बल्कि पूरे परिवार की मेहनत का सवाल है।
एक रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि अल फला में मेडिकल सीटें जल्दी भरने का कारण उनका अपना अस्पताल और अन्य कॉलेजों की तुलना में कम फीस थी। लेकिन अब एनएएसी द्वारा प्रत्यायन (Accreditation) पर सवाल उठने के कारण छात्रों की चिंताएं कई गुना बढ़ गई हैं।
ब्लास्ट और मनी लॉन्ड्रिंग की दोहरी मार
छात्र बताते हैं कि जब से यह खबर मिली कि उनके प्रोफेसर उमर उन नबी ने दिल्ली में ब्लास्ट किया था, उसी दिन से कैंपस का पूरा माहौल बदल गया है। हर जगह डर, शंका और चिंता फैल गई है।
मामला यहीं नहीं थमा। हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल फला ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार कर लिया।
यह जांच अब यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक और वित्तीय सिस्टम तक पहुंच चुकी है। छात्रों को डर है कि इस जांच का सीधा असर उनके करियर पर पड़ेगा और कहीं उनके नाम की वजह से उन्हें आगे नौकरी या उच्च शिक्षा में बाधा न आए।
एनएमसी का आश्वासन, पर छात्रों को सता रहा डर
यद्यपि नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) ने छात्रों को आश्वस्त किया है कि निर्दोष विद्यार्थियों की पढ़ाई और करियर सुरक्षित रहेंगे। एनएमसी ने जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही है ताकि छात्रों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
हालांकि, छात्रों के मन में डर बना हुआ है। मुरादाबाद की एक थर्ड ईयर छात्रा को उम्मीद है कि उन्हें किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। कैंपस में हर कोई इस बात को लेकर डरा हुआ है कि कहीं उनकी यूनिवर्सिटी की मान्यता ही खत्म न हो जाए।
क्या है पृष्ठभूमि
अल फला यूनिवर्सिटी का संकट दो प्रमुख घटनाओं से उपजा है। पहला, यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर, उमर उन नबी, का नाम दिल्ली में हुए एक ब्लास्ट से जुड़ना, जिसने कैंपस के माहौल को पूरी तरह बदल दिया। दूसरा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अल फला ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी। इन दो गंभीर घटनाओं के कारण, यूनिवर्सिटी का भविष्य, जो हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के अंतर्गत आती है, अब राज्य और केंद्र सरकार की सलाह के बाद एनएमसी के फैसले पर टिका है।
मुख्य बातें (Key Points)
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फरीदाबाद की अल फला यूनिवर्सिटी के सैकड़ों एमबीबीएस छात्रों का भविष्य अनिश्चितता के दौर में है।
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यह संकट एक प्रोफेसर के दिल्ली ब्लास्ट में कथित संलिप्तता और यूनिवर्सिटी चेयरमैन की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के कारण पैदा हुआ है।
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एक एमबीबीएस छात्र की पढ़ाई में लगभग ₹90 लाख खर्च होते हैं, जिससे छात्रों और उनके परिवारों पर मानसिक दबाव बढ़ गया है।
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एनएमसी ने छात्रों के करियर को सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द होने का डर छात्रों में कायम है।






