नई दिल्ली, 23 मार्च (The News Air): देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है… धड़ाधड़ रैलियां हो रही हैं… रोड शो भी जारी हैं, लेकिन इन सबसे भी ज्यादा तेजी से जो काम चल रहा है, वो है नेताओं का एक कैंप से दूसरे कैंप में कूदना। टिकट मिला तो ठीक, ना मिला तो दूसरी पार्टी में जाकर ठीक…। इस संकट से सबसे ज्यादा कोई पार्टी अगर जूझ रही है, तो उसका नाम है कांग्रेस। पिछले कुछ महीनों में ही कई जाने-माने नाम कांग्रेस से अलग होकर भाजपा के साथ जुड़ चुके हैं। कुछ और पार्टियों का हाल भी करीब-करीब ऐसा ही है। लेकिन, एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी हुआ था, जब कांग्रेस के प्रत्याशी ने मतदान से ठीक एक हफ्ते पहले पार्टी छोड़ी और भाजपा में जा मिले। कांग्रेस की मजबूरी ये थी कि नामांकन और नाम वापसी दोनों की तारीख निकल चुकी थी और ना चाहते हुए भी ईवीएम में पार्टी के निशाने के सामने इस प्रत्याशी का नाम रहा।बात 2014 के लोकसभा चुनाव की है, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। इस चुनाव में कांग्रेस ने गौतमबुद्ध नगर सीट से रमेश चंद्र तोमर को टिकट दिया था। तोमर पहले भाजपा में थे और 1991, 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट से पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने उन्हें हराकर जीत का ये सिलसिल तोड़ा। इसके बाद नए परिसीमन में गाजियाबाद अलग लोकसभा सीट बन गई और 2009 में भाजपा ने रमेश चंद्र तोमर की जगह राजनाथ सिंह को यहां से चुनाव मैदान में उतार दिया। रमेश चंद्र तोमर नाराज हुए, कांग्रेस में गए… गौतमबुद्ध नगर सीट से चुनाव भी लड़े, लेकिन चौथे नंबर पर आए।
आज मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूं… : इसके बाद आया 2014 का लोकसभा चुनाव और कांग्रेस ने फिर से तोमर को गौतमबुद्ध नगर सीट से टिकट दे दिया। इस सीट पर उनके मुकाबले में भाजपा से डॉक्टर महेश शर्मा, समाजवादी पार्टी से नरेंद्र भाटी और बीएसपी से सतीश कुमार मैदान में थे। तय तारीख पर रमेश चंद्र तोमर ने नामांकन किया और पार्टी के कार्यकर्ता उनके प्रचार में जुट गए। लेकिन, इसी बीच वो हो गया, जिसकी उम्मीद कांग्रेस तो क्या, खुद भाजपा ने नहीं की होगी। वो 3 अप्रैल 2014 का दिन था, जब गाजियाबाद में नरेंद्र मोदी की रैली थी और ठीक एक हफ्ते बाद 10 अप्रैल को वोट डाले जाने थे। इसी रैली में रमेश चंद्र तोमर भाजपा के मंच पर पहुंचे, नरेंद्र मोदी ने उन्हें गले लगाया और वहीं पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया।
तोमर ने तब कांग्रेस को कहीं का ना छोड़ा : इस ऐलान से सब हैरान थे, कांग्रेस वाले भी और भाजपा वाले भी। लेकिन, कांग्रेस के लिए जो सबसे बड़ी टेंशन थी, वो ये थी कि रमेश चंद्र तोमर के जाने के बाद अब वो गौतमबुद्ध नगर सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं बदल सकती थी। दरअसल, वोटिंग में महज एक हफ्ता बचा था और नामांकन के साथ-साथ नाम वापसी की तारीख भी निकल चुकी थी। तोमर पराए हो चुके थे और अपनों को चुनाव लड़ाने का मौका अब कांग्रेस के पास नहीं थी। ऐसे में 10 अप्रैल को जब मतदान हुआ तो ना चाहते हुए भी ईवीएम पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर रमेश चंद्र तोमर का नाम लिखा था। और कमाल की बात ये, कि जब चुनाव नतीजों का ऐलान हुआ तो कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर तोमर के खाते में 12727 वोट भी चले गए।
‘मैं चुनाव लड़ा तो महेश शर्मा हार जाएंगे’ : रमेश चंद्र तोमर से पत्रकारों ने पूछा कि आपने इस तरह बीच चुनाव में कांग्रेस क्यों छोड़ दी, जबकि आपको टिकट भी मिला था? इसपर उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को समर्थन देने के लिए ये कदम उठाया है। तोमर ने कहा, ‘मैं भावनाओं में बहकर और आवेश में आकर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया था। गलतियां सभी से होती हैं, मुझसे भी हो गई। लेकिन, मैंने अब सही समय पर इसे ठीक कर लिया है। लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं। ऐसे में अगर मैं चुनाव लड़ूंगा तो भाजपा के प्रत्याशी महेश शर्मा नहीं जीत पाएंगे। मेरे समर्थकों को भी लगता है कि मुझे नरेंद्र मोदी के लिए चुनाव प्रचार करना चाहिए। मोदी ही इस देश में विकास, महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं के लिए रोजगार ला सकते हैं।’