Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 को चांद पर उतरने में सिर्फ 18दिन बचे हैं। इसके साथ ही पूरा देश अपनी सांसे थामें बैठा है और चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग की दुआ कर रहा है। वहीं अब चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की बाहरी कक्षा में प्रवेश कर लिया है। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों ओर 166 किमी x 18054 किमी की अण्डाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। हालांकि, इसमें थोड़े बदलाव की भी संभावना है।
आपको बता दें कि, चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए ISRO ने फाइनल मानूवर के दौरान,चंद्रयान-3 के इंजन को करीब 25 मिनट तक चालू रखा, और चंद्रयान को चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में फंस दिया। अब वह उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाता रहेगा। इस मानूवर के बाद अब ISRO चंद्रयान-3 का ऑर्बिटको छोटा करगा, ताकी यान की चंद्रमा से दूरी को कम किया जा सके और इसे सही स्थिति में लाकर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जा सके।
चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य
भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान चंद्रमा की निकट-सतह प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉन) घनत्व को मापेगा।
यान चंद्रमा की सतह पर थर्मल कंडक्टिवीटी की भी जांच करेगा।
चंद्रयान-3 लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा और साथ ही वह चंद्रमा की जमीन को भी जाचेगा।
चंद्रमा की मिट्टी की मौलिक संरचना का अध्ययन भी होगा।
मूल रूप से चंद्रयान-3 चंद्रमा की प्रणाली को समक्षने की कोशिश करेगा।
मिशन मून के बाद इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने की योजना
ISROके अध्यक्ष सोमनाथ Sने पिछले दिनों कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-L1 मिशन की तैयारी कर रही है। ISROप्रमुख ने कहा कि एक्स्ट्रासोलर ग्रहों (Exoplanets) का अध्ययन करने के लिए एक उपग्रह बनाने पर भी चर्चा चल रही है।
सोमनाथ ने कहा, हम इस आदित्य-L1 मिशन के माध्यम से सूर्य को समझने और उसका अध्ययन करने के मिशन की भी तैयारी कर रहे हैं और X-ray पोलरीमीटर उपग्रह लगभग तैयार है और हम तारों को बेहतर ढंग से समझने के लिए इसके प्रक्षेपण की उम्मीद कर रहे हैं।
चंद्रयान-3मिशन का प्रक्षेपण -फ्लैशबैक
चंद्रयान-3भारत का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है। इसे 14जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLVMARK-3 (LVM3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान-2मिशन को 2019में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद चंद्रयान-3इसरो का अनुवर्ती प्रयास है। चंद्रयान-2को अंततः अपने मुख्य मिशन उद्देश्यों में विफल माना गया।
चंद्रयान-3 के साथ, भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बन सकता है, जो चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारेगा और चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए देश की क्षमता का प्रदर्शन करेगा।