उनका कहना है कि सिर्फ अल नीनो के मौसमी पैटर्न को इस गर्मी का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह अभी शुरू हुआ है। इसकी भूमिका बहुत छोटी है। हम ओवरऑल गर्मी देख रहे हैं, जो हर जगह है, खासतौर पर हमारे महासागरों में। बीते कई महीनों से उष्णकटिबंधीय इलाकों में भी समुद्री सतह का तापमान ऊपर बना हुआ है।
नासा का अनुमान है कि गर्मी का यह दौर जारी रहेगा। इसकी वजह वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें हैं, जिनके उत्सर्जन को कम करने पर कोई भी देश गंभीरता से काम नहीं कर रहा। मौजूदा हालात को देखते हुए श्मिट 50-50 अनुमान लगा रहे हैं कि 2023 सबसे गर्म साल हो सकता है। हालांकि कई वैज्ञानिकों ने इसकी 80 फीसदी संभावना जताई है।
चिंता यहीं खत्म नहीं होती। नासा का अनुमान है कि साल 2024 और भी ज्यादा गर्म साल होगा, क्योंकि उसकी शुरुआत अल नीनो के साथ होगी। इस साल के आखिर में अल नीनो अपने पीक पर होगा। नासा के गेविन श्मिट की चेतावनी ऐसे वक्त में आई है, जब पिछले सप्ताह वैश्विक तापमान ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था और दुनियाभर में आग लगने की घटनाएं सामने आई थीं।






