चंडीगढ़, 24 जून (The News Air)
पंजाब में दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के विरोध में प्रदेश के बेरोज़गार दिव्यांग पैरा खिलाड़ियों ने अपने पुरस्कार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लौटाने का फ़ैसला किया था। गुरुवार को ये खिलाड़ी चंडीगढ़ में सीएम आवास के बाहर पहुंचे। लेकिन देश को मेडल और मान सम्मान दिलाने वाले पैरा (दिव्यांग) एथलीट खिलाड़ियों ने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन उन्हें सड़कों पर घसीटा जाएगा और उनके साथ धक्कामुक्की की जाएगी।
पंजाब के विभिन्न शहरों के 12 पैरा एथलीट गुरुवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास पर अपने जीते हुए पुरस्कारों को वापस देने पहुंचे। इनमें नेशनल से लेकर इंटरनेशनल लेवल के पैरा एथलीट थे जिन्होंने विभिन्न पैरा खेलों में हिस्सा लेते हुए मेडल और ट्राफ़ियाँ बटोरी थी। पंजाब सरकार का सबसे बड़ा खेल सम्मान महाराजा रंजीत सिंह अवार्ड भी इन दिव्यांग खिलाड़ियों के पास था जो वह मुख्यमंत्री को वापस देने आए थे।
यह पैरा एथलीट पंजाब सरकार से पिछले कई साल से नौकरी की मांग करते आ रहे थे। लेकिन आज तक उनमें से किसी को नौकरी नहीं मिली। पंजाब के दिव्यांग पैरा ओलंपिक खिलाड़ी संजीव ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खिलाड़ियों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं किया, जबकि करोड़ों रुपये के वारिस विधायकों के बेटों को रेवड़ी की तरह नौकरियां दी जा रहीं हैं।
धक्कामुक्की के बाद गिरे एथलीट- जब पैरा एथलीट मुख्यमंत्री निवास की ओर बढ़ रहे थे तो उन्होंने रास्ते में रखे बैरिकेड को तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो धक्कामुक्की में कुछ एथलीट नीचे गिर गए और उन्हें चोटें भी आई। पुलिस ने ज़बरदस्ती इन पैरा एथलीटों को हिरासत में लिया।